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आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

Sunday, April 29, 2012

दवा कोई भी जखम भर नहीं पाई

दवा कोई भी मेरे जखम भर नहीं पाई ,
बिगड़े हालात तो हालत सुधर नहीं पाई,
मुश्किलों ने दरवाजे पर ताला लगा दिया,
रौशनी कमरों में फिर कभी भर नहीं पाई,
मैं हर दिन तिनका -तिनका मरा हूँ,
यादें तेरी लेकिन मुझमे मर नहीं पाई,
घंटों बैठा रहता हूँ समंदर किनारे,
जो डुबा दे मुझे वो लहर नहीं आई....

सजावट बढ गयी घर की मेरे जालों से

यादें तेरी जो मिटाई नहीं हैं सालों से,
सजावट बढ गयी घर की मेरे जालों से,
सोंचता हूँ फुर्सत में कोई काम करूँगा,
मगर छुटकारा मिलता नहीं खयालों से,
दिए में तेल नहीं और बत्ती भी गुल है,
घर का कोना कोना तरसा है उजालों से,
दर्द-वो-गम ये जखम और सितम क्यूँ,
जवाब आया नहीं लौट कर सवालों से,
रिहाई कैसे मिलती इस कैद से मुझको,
गुम गयी चाबी यारों, खुद तालों से,
अचानक छू गया एहसास तेरे आने का,
पलटते ही मिले छूटी खुशबू तेरे बालों से.........

Saturday, April 28, 2012

आँखों का दिया बुझा मुझमे रात रख गई

निगाहों को नम करके जज़्बात रख गई,
छुपते-छुपाते दिल में सारी बात रख गई,
इस डर से कहीं सारे भेद खुल ना जाएँ,
आँखों का दिया बुझा मुझमे रात रख गई,
पहले जखम दिया बाद मरहम भी लगाया,
फिर जानबूझ कर जख्मो पर हाँथ रख गई,
कि साथ रह रही थी जिस छत के नीचे उसपर ,
बादलों से चुरा कर बरसात रख गई.....

जगह दिल के पास की जो मैंने खरोंच ली

जगह दिल के पास की जो मैंने खरोंच ली,
दिल ने जहन में तेरी तस्वीर सोंच ली,
खाली पड़ा दिल आज तुझसे भर लिया,
प्यासी थी निगाहें वो भी है सींच ली,
एहसास तेरा मेरी साँसों ने जब किया,
दिलकश तेरी अदा तन में दबोच ली,
 
यूँ दूरी मुझको तेरी ऐसे सता रही है,
जिस्म पर से चमड़ी यादों ने नोंच ली...

Thursday, April 26, 2012

खुदा रहम नहीं करता

खुदा रहम नहीं करता, मुझे ख़तम नहीं करता,
मुझको गम देने वाला, खुद गम नहीं करता,
मेरी मासूम नज़रों को घेर बदली ने रखा है,
धार अश्कों की, ज़रा भी कम नहीं करता,
बिखर के चूर हो गया, मैं सबसे दूर हो गया,
कोई मेरे दिल से अब संगम नहीं करता,
किसी के छलनी जिस्म पर कितने ही तीर मारो,
लफ्ज़ के खंज़र से ज्यादा कुछ जखम नहीं करता,
फूलों ने छू, मुझे पत्थर बना दिया, 
जलता सूरज भी जिस्म मेरा नरम नहीं करता.

यहीं कहीं खोया है दिल का खज़ाना

किसी को मिले तो मुझको बताना,
यहीं कहीं खोया है दिल का खज़ाना,
फूलों के पौधों पे काँटों का कब्ज़ा,
मुश्किलों की डगर में मेरा ठिकाना,
समंदर उठा कर, हूँ आँखों में लाया, 

अब मुझको है पलकों से नदियाँ बहाना,
कभी फुरसतों के
जो मिले दो पल तो,
सजाऊँ मैं फिर से उजड़ा फ़साना,
मुझको मिली है उलझन अजब सी,
किया पेश किसने ये मुझे नजराना....

बवाल हो गया

कह दी सच्चाई तो बवाल हो गया,
खड़ा पलभर में लाखों सवाल हो गया,
ईमानदारी पर लगाया लांछन बेईमानी नें,
लगता है अच्छाई का इन्तेकाल हो गया,
इस कदर हावी हो गयी है महंगाई,
अब तो सांस लेने में बुराहाल हो गया,
रास्ता रोकें खड़ी हैं मुश्किलें,
गरीब गरीबे से अमीर अमीरी से मालामाल हो गया,
लुटेरे आयें है देश लुटने के लिए,
चोर अपने
ही देश का लाल हो गया....

Wednesday, April 25, 2012

मेरी माँ के कर दवा हो गए

दुखों के इरादे हवा हो गए,
मेरी माँ के कर दवा हो गए,
नहीं दर्द का, ना ही घावों से डर था,
अब आँचल की छावों में मेरा घर था,
खुशियों के पल बढ सवा हो गए,
मेरी माँ के कर दवा हो गए,
कभी न चुभा मुझको जख्मों का बिस्तर,
जो माँ हाँथ फेरे तो रह जाते पिसकर,
गम के बदल जलकर लवा हो गए, 

 मेरी माँ के कर दवा हो गए.....

Monday, April 23, 2012

एहसास

बंधे पैरों से ऐसे धागे थे,
पहुंचे वहीँ जहाँ से भागे थे,
टेढ़ा - मेढ़ा, वो भूल भुलैया रस्ता था,
जीवन लगता है मेरा बहुत सस्ता था,
बंद आँखों के तले हम जागे थे,
बूढ़े घुटनों में रोज़ दर्द बढने लगा,
बैठकर खाट से जब भी उठने लगा,
एहसास बिमारिओं के जगने लागे थे,
नींद भी आँखों से आँख-मिचोली खेलें,
यादें बचपन की पास आके होली
खेलें,
आज लगता है कि कितने अभागे थे ,
जर्ज़र दीवारें हो गयी हैं हृदय की,
साँसे आभार कर रही हैं समय की,
दरिया मौत के बह रहे आगे थे...

Sunday, April 22, 2012

बीच सीने के खंजर उतार डाला

बीच सीने के खंजर उतार डाला,
दोस्ती ने एक दोस्त मार डाला,
धब्बे खून के पोंछते - पोंछते, 
बिखरा मेरा घर संवार डाला,
तन्हा दिवार पर लटकी तस्वीर पर,
हंसके
चढ़ा फूलों का हार डाला,
आखिर में बस एक बात यही बोली,
"अरुन" आज चुका तेरा उधार डाला..

Friday, April 20, 2012

बूढी जिंदगी में मुझे बच्चा रहने दो

बूढी जिंदगी में मुझे बच्चा रहने दो,
झूठी बंदगी में मुझे सच्चा
रहने दो,
लालच बढ़ता जाए बढती हुई उमर संग.
ऐसी उमर से मुझे कच्चा रहने दो,
जो सारे हैं गलत आज की महफ़िल में,
तो कम से कम मुझे तो अच्छा रहने दो,

फूलों के जख्म से सीना हुआ है छलनी

फूलों के जख्म से सीना हुआ है छलनी,
ऐसे में धार अब काँटों की नहीं चलनी,
चाहत का जहाँ मुक्कमल नहीं था होना,
लगता है जिंदगी साँसों से नहीं पलनी,
उल्फत में तोडके रिश्तों के सारे बंधन,
ये अधूरी दास्ताँ अब मुझको नहीं खलनी,
मुट्ठी में बांधकर कौन रेत रख सका,
कसते ही हांथो को ये रेत है फिसलनी,  
बेकार जीने की उम्मीद दिल में रखना,
तूफानी इस हवा में कश्ती नहीं संभलनी,
इंसानों की फितरत मौत से है मिलती-जुलती, 
जिस्म से जान भी है धोके से निकलनी.

नहीं पास कुछ शिवा दिल के फ़कीर हूँ

आँखों में आंशू और छलकने पे नीर हूँ,
नहीं पास कुछ शिवा दिल के फ़कीर हूँ,
हालत है खस्ता,हूँ तिनके से भी सस्ता,
मैं अपने ही हांथो की मिटी-२ लकीर हूँ,
गम की सांस लेता हूँ जखम के साथ लेता हूँ,
दुखों की है नहीं कमी, दर्द से अमीर हूँ,
नफरत की तस्वीर बना नज़रों के लिए,
मैं मेरे ही फ़साने की लुटी हुई जगीर हूँ.

चोरी हुआ यूँ दिल तन की दुकान से

चोरी हुआ यूँ दिल तन की दुकान से,
मुझको बुरा बनाया,  मेरी जुबान से,
 
शोर भी मचाया मांगी थी मदद भी ,
मगर कोई नहीं निकला अपने मकान से,
 
खायी है मैंने ठोकर हर रोज़ रौशनी में,
चलना सिखा दिया अंधेरों ने ध्यान से,
मैंने खिलाफ पाया मेरे ही मेरे दिल को,
तबियत बिगड़ गयी दिल के बयान से,
पलकें सोंच से मेरी जो ज़रा झपकी,
इतने में भर गया कोई मुझे निशान से,

Thursday, April 19, 2012

पत्थर बना दिया

छू के फूलों ने मुझे पत्थर बना दिया,
जिंदगी को मौत से बत्तर बना दिया,
खाके ठोकर जो गिरा, तो कलियों ने,
जख्मों का तन पे बिस्तर बना दिया,
दबाकर जालिम ने मुझे दर्द के नीचे,
गम के कपड़ों का अस्तर बना दिया,
शुरू में पूंछा था की प्यार में क्या मिलता है,
मुझे ही मेरे सवालों का उत्तर बना दिया,

काबिलियत नहीं मिलती

तमाम कोशिशों के बाद भी काबिलियत नहीं मिलती,
मुश्किलें मिलती हैं बहुत सहूलियत नहीं मिलती, 
जिंदगी की राहों में जिद्दो - जहत बहुत हैं,
कभी खुद से खुद की तबीयत नहीं मिलती,
नींद आती नहीं बुरे ख्वाबों के डर से,
कि इन ख्वाबों से मेरी नियत नहीं मिलती,
ऐसा बदला है तेरी मोहोब्बत ने मुझे,
मेरी तस्वीर से मेरी
असलियत नहीं मिलती,
दिल से कहता हूँ तुझे निकाल दे मुझसे,
मगर पागल दिल पर मुमानियत नहीं मिलती.

निहायत बत्तमीज़ हो

कभी शरीफ तो कभी निहायत बत्तमीज़ हो,
पागल मेरे दिल को फिर भी तुम अज़ीज़ हो,
आँखों में तेरी सूरत चाँद से भी खुबसूरत,
तुम्हे होंठों पर रखूं तो बेहद लज़ीज़ हो,
ओढ़ी है मैंने मन पर तेरे तन की चादर, 

मेरे दिल ने जो पहनी तुम वो कमीज़ हो,
जान से भी ज्यादा हिफाज़त तेरी करूँ,
साँसों से बढकर,तुम कीमत की चीज़ हो..

Wednesday, April 18, 2012

कंगाल मेरा दिल, मैं बेजबान हो गया

कंगाल मेरा दिल, मैं बेजबान हो गया,
तेरी नज़र की बान पे कुरबान हो गया,
कितनी हरी-भरी थी मेरी जिंदगी,
तेरा रंग चढ़ा, तो पासबान हो गया,
मैंने बक्शा था सिर्फ दिलपे हक तेरा,
जाने कब साँसों का निगहबान हो गया,
मैंने ही कहा था मुझसे अपने दर्द दे दो,
जख्म मेरी इस अदा पे मेहरबान हो गया,

(
पासबान = संतरी, निगहबान = अभिभावक)

जिंदगी को प्यार से हीन कर लिया.

काम एक आज मैंने बेहतरीन कर लिया,
तेरी दिल्लगी पे फिरसे यकीन कर लिया,
कि खाके धोके पे धोके बार-बार,
मोहोब्बत को और भी हसीन कर लिया,
दर्द लेने आया इम्तेहान जब भी ,
मैंने जख्मो को ज़रा नमकीन कर लिया,
फ़ैल जाए न दिल कि आवाज़ हर तरफ,
अपनी धडकनों को बहुत महीन कर लिया,
लुटा के तुझपे दिल कि दुनिया,
जिंदगी को प्यार से हीन कर लिया.

Monday, April 16, 2012

दर्दे-दिल को उमरभर पालती जिंदगी

ख़ुशी के मौके दूर से टालती जिंदगी,
दर्दे-दिल को उमरभर पालती जिंदगी,
धकेल कर खुद को जलती आग में,
बड़े शौक से खुद को उबालती जिंदगी,
कि झोंके ने आशियाना उजाड़ डाला,
बिखरे तिनकों को संभालती जिंदगी,
बैठ कर फुर्सत में एक दिन यूँ ही,
भार जख्मों का तौलती जिंदगी,
फैला रेत का कारवां मिलो तलक,
भार के मुट्ठी रेत फिसालती जिंदगी,
इंतज़ार करते-२ नयी सुबह कि,
रात आँखों में ढालती जिंदगी,
रूठे-2 से क्यूँ लोग मुझसे रहते हैं,
वजह इस बात की खंगालती जिंदगी.

भारत में भर रहा भ्रष्टाचार का तराजू

भारत में भर रहा भ्रष्टाचार का तराजू,
अंधों के राज़ में होता अंधेर है राजू,
कुछ और ये समय जो यूँही चलेगा,
सोने के भाव में बिकेगा फिर काजू,
देखा है सभी ने, बोला नहीं किसी ने,
रिश्वतखोर सबके रहते हैं आजूबाजू,
ज्ञान से हीन नेता बने बैठे महात्मा
डाकू हैं लुटेरे हैं पर कहते खुद को साधू,
 

Sunday, April 15, 2012

वो खुबसूरत मेरी अब रिहाइश नहीं रही

अब चीज़ कोई पास मेरे नाइश नहीं रही,
वो खुबसूरत मेरी अब रिहाइश नहीं रही,
जो कुछ भी पास था सब तुझपे लुटा चुका
देने की तुझे कुछ भी गुनजाइश नहीं रही,
बदनाम करना चाहा मुझे चाहत की आड़ में,
मगर मेरी चाहत अब नुमाइश नहीं रही,
खामखा दर्द दिया, निहायत तुम बुरी हो,
प्यार के सिवा मेरी और फ़रमाइश नहीं रही,
मिलने को मुझे अब मिलता बहुत कुछ है,
पर दिल में मेरे अब कोई ख्वाइश नहीं रही,
ना ढूंढ़ मेरी पलकों पर बहते आंशुयों को,
मेरी नज़रों में बारिशों की पैदाइश नहीं रही.
कि मुझको खुबसूरत साथी बहुत मिले,
तेरे शिव दिलकी दूजी च्वाइश नहीं रही,

Saturday, April 14, 2012

प्यार को कफ़न बना लिया

तुझे प्यार करने का जो मन बना लिया,
जमाने को कसम से दुश्मन बना लिया,
कौन मार दे मुझे, ये तक खबर नहीं,
डर से घबराया खुदका बदन बना लिया,
समझ के फूल चुने कांटे इतने,
कि दिल में जख्मो का एक चमन बना लिया,
बुझती चिंगारी ने जलाया घर मेरा ,
तुझे सपने में जो दुल्हन बना लिया,
पी-पी के बहते अश्कों का पानी,
कुछ दिन जीने का साधन बना लिया,
लगी ठोकर जब, तो पता चला कि ,
मैंने पत्थरों से अपना आँगन बना लिया,
बहते लहू ही इस बात का साबुत है
तन को जख्मों का उत्पादन बना लिया,
पास जो भी था लुटा कर मैंने,
दिल कि बिमारी को ही धन बना लिया,
कोशिशें नाकाम रही तुझे भुलाने की,
जहन में यादों का यूँ बंधन बना लिया,
खुदा माना तेरे प्यार को जिंदगी भर,
मरते वखत प्यार को कफ़न बना लिया.....

हो रहे हैं टुकड़े मेरे जिस्म के

हो रहे हैं टुकड़े मेरे जिस्म के,
दर्द करते हैं दर्द कई किस्म के,
हवा गम की तबियत जुदा करती है,
सांस लेने से बढ़ें घाव जख्म के,
इंतज़ार की उमर बड़ी है कितनी,
वक़्त बाकी है अभी काँधे की रस्म के.....

Friday, April 13, 2012

अहम किरदार तुम्ही हो

मेरी साँसों के लिए अहम किरदार तुम्ही हो,
दिल के अन्दर भी तुम नज़र के पार तुम्ही हो,
ना जानता हूँ तुम्हे, ना ही तुमसे पहचान है,
फिर भी बसती
क्यूँ  मेरी तुझमे ही जान है
दिल की दुनिया के अब तो सरकार तुम्ही हो,
सिकन चेहरे की तुम्हे देख भूल जाता हूँ,
लिखते-लिखते मैं कही लेख भूल जाता हूँ,
लबों पे रखी मेरी ख़ुशी का बाज़ार तुम्ही हो,
तुम कहो जो, वो मैं कर जाऊं,
तुम कहो तो जियूं तुम कहो तो मर जाऊं, 
कि मेरे जीने-मरने के हक़दार तुम्ही हो,

Thursday, April 12, 2012

ज़रा करीब आ तुझे प्यार से सराबोर कर दूँ

ज़रा करीब आ तुझे प्यार से सराबोर कर दूँ,
मेरे जीवन का सारा सुख तेरी ओर कर दूँ,
चाहूँगा तुझको मैं , पूरी इमानदारी से,
तेरे हांथों में अपनी साँसों की बागडोर कर दूँ,
रहकर पहलू में तेरी दिन से शाम करूँ,
रात भर जागकर तेरी आँखों में भोर कर दूँ,
इक तेरे शिवा दिल में कुछ अरमान नहीं,
खुदको इश्क में तेरे इतना कठोर कर दूँ,
बिछा के पलकों पे तेरे हुस्न की चादर,
निगाहों को तेरी तस्वीर का चोर कर दूँ,
संभल सके ना जिंदगी
बिना तेरे सहारे के
खुद को तेरे बिना मैं इतना कमजोर कर दूँ......

प्यार की नदी

मोहोब्बत का बरस तो कभी चाहत की सदी,
कभी इश्क का सागर कभी प्यार की नदी,
कभी पतझड़ का महीना कभी डाल फूलो से लदी,
कभी सुख का छाया कभी दुःख की बदी,
कभी खाली एक बोतल कभी मयकदी,
कभी बात न करे कभी कराये खुशामदी,
कभी लगता है प्यार है कभी लगे दिल्लगी,
कभी मुझमे सो गयी कभी मुझमे है जगी,
कभी जाँ की मेरी दुश्मन कभी मेरी जिंदगी..

Wednesday, April 11, 2012

तुझसे दूरी में नहीं तुझसे मिलने में भय है

तुझसे दूरी में नहीं तुझसे मिलने में भय है,
कूंट - कूंट कर यूँ तूने भरा दर्द से हृदय है,
देखेंगे मरते-मरते ताकत तेरी सितम का,
मरने में अभी मुझको बाकी ज़रा समय है
छोड़ दिया हंसीं ने मेरे होंठो को तनहा,
 
होनी खुशियों की बर्बादी भी अब तय है,
मेरा नसीब है मुझे बदनामी मिलनी थी,
लांछन मेरी किस्मत में लिखा निश्चय है,
कभी,कहीं किसी राह पर तुझे न दुःख दे रब,
हाँथ जोड़कर "अरुन" यही करता विनय है,

शिकवा नहीं कसम से मैं करता हूँ सिफारिश

शिकवा नहीं कसम से मैं करता हूँ सिफारिश,
तुम मेरा तन भिगो दो चाहत की करके बारिश,
जीने दो मुझे कल तक, या आज मार दो तुम,
मैंने बना दिया अपनी साँसों का तुझको वारिश,
जी भर के देख लूँ मैं, बस इक बार सामने आ,
तेरी तस्वीर खींचने की आँखों ने की गुजारिश,
 
ख्वाइश है ये ज़रा सी तमन्ना भी बस यही है, 
कभी मेरे जहन से न मिटे प्यार की ये खारिश....

Monday, April 9, 2012

क्या है माँ

क्या है माँ, माँ का होना क्या है,
मुझसे जानो माँ का खोना क्या है
मेरा दर्द मेरी माँ
से बहुत डरता है
जखम खुद ही खुद को भरता है 
कभी आँखों ने न जाना रोना क्या है
मुझसे जानो माँ का खोना क्या है
ख़ुशी भर-भर के आँखों से छलकती है
क्यूंकि माँ बहुत ज्यादा प्यार करती है
माँ की गोद में सुकूँ से सोना क्या है
मुझसे जानो माँ का खोना क्या है
जाँ को जाने से रद कर दे
जहर को छू सहद कर दे
उमर माँ के बिना ढोना क्या है
मुझसे जानो माँ का खोना क्या है

मुझे वापस वही पल चाहिए

मुझे वापस वही पल चाहिए,
इस दर्दे दिल का हल चाहिए,
बक्श मेरे आंखों की वही ख़ुशी
और बहता हुआ नहीं जल चाहिए
बरसों तक देता रहा इन्तेम्हान
अब मुझे, मेरे सबर का फल चाहिए 
जीना चाहता हूँ एक नयी जन्दगी
जुदा यादों से मेरा बीता कल चाहिए
तमाम सपने सजाये हैं आज मैंने
रात आँखों में आज जानी ढल चाहिए

Saturday, April 7, 2012

मैं चाहता हूँ तुझमे आज मर के भूल जाऊं

मोहोब्बत में तेरे मैं संवर के भूल जाऊं
मैं खुद को तेरी रूह में उतर के भूल जाऊं
जी भरके तुझको चाहत मैं कर के भूल जाऊं
आँखों में तेरी सूरत मैं भर के भूल जाऊं
होंठो की राह पर मैं गुजर के भूल जाऊं
तेरी जिस्म की नदी में मैं तर के भूल जाऊं
मैं तेरी जिंदगी में ठहर के भूल जाऊं
 
मैं सारे रास्ते अपने घर के भूल जाऊं
मैं चाहता हूँ तुझमे आज मर के भूल जाऊं

तुझसे महफूज़ हूँ मगर तुझसे ही खतरा है

तुझसे महफूज़ हूँ मगर तुझसे ही खतरा है
तेरी शराफत का डर जहन में मेरे उतरा है
बेवजह तेरा खुद को मुझसे खिलाफ रहना
कोई बात जो चुभी हो मुझको मुआफ करना
तेरी सूरत का बिछाया आँखों में बिस्तरा है
मासूम मेरे दिल से, जफा तुम न करना
धक्कामार दिल से, दफा तुम न करना 
 
लहू के साथ मेरा तेरे प्यार का कतरा है
तस्वीर तेरी दिल के हर दीवार पर छपाई
पूंजी तेरी मोहोब्बत,तेरा इश्क मेरी कमाई
मुझे घायल कर चुका तेरा निगाहों का उस्तरा है

गरीबी के लफ्ज़

जिसके सीने में शराफत है
उसको जीने में आफत है
ख़ुशी कम हो रही है, यूँ ही ख़तम हो रही है
दुःख में दिन हर दिन हो रहा इज़ाफ़त है
बढता महंगाई का बोलबाला, लगा गरीबे पे है ताला
क्यूंकि दौलत के साथ अब घूमती ताकत है
कोई है छपाए अथाह धन काला, कोई मुहं तरसे बिन निवाला
पानी नहीं लेकिन दारू बड़ी जरुरी, कोई शाम न रहे दारू बिन अधूरी,
बत्तर जिंदगी की बिगडती हुई हालत है
गुंडों में अत्याचार, नेता में भ्रस्टाचार
बेडागरग करके करते देश का उद्धार
इनकी ही वकालत है इनकी ही अदालत है

बरसों से दर्द-दे-दिल दिल में जमा रहा

बरसों से दर्द-दे-दिल दिल में जमा रहा
कभी वक़्त मुझमे गुजरा कभी थमा रहा
तुझसे दूर चला आया, तेरा शहर छोड़ आया
फिर भी बच न पाया, तेरी यादों का बुरा साया
मेरा पीछा करते-करते लो यहाँ तक चला आया
बर्बाद जिंदगी का यूँ ही सारा समां रहा

बरसों से दर्द-दे-दिल दिल में जमा रहा
तन्हाई से भरा, तन्हा मेरा सफ़र
समय की धारा में ढलती रही उमर
अब मेरी जिंदगी को मेरी नहीं कदर
साँसे भी कह रहीं है क्यूँ जाता नहीं मर
दिल आज भी वही पुराना दर्द कमा रहा
कभी वक़्त मुझमे गुजरा कभी थमा रहा

Wednesday, April 4, 2012

बनते-बनते ज़रा सी बात रह गई

बनते-बनते ज़रा सी बात रह गई,
सिमट के सारी कायनात रह गई,
तकदीर के तसब्बुर में तेरा नाम ना था,
बस यादों के तू मेरे साथ रह गई,
यूँ तो भुला बैठा हूँ बहुत कुछ मगर,
हलकी-हलकी याद वही रात रह गई,
बरसती आँखें हैं समय के साथ-साथ
जिंदगी बनके मेरी ख़ाक रह गई,
तेरी सलामती की दुआ है दिल में,
इंसानियत की मुझमे जात रह गई,

"सारी बातें सिर्फ तेरे लिए"

मोहोब्बत दिल से जफा करती है, वो खुद को मुझसे खफा करती है.
हर रोज मिलते है नए चेहरे, वो अब कहाँ दोस्त पुराने रखा करती है.

जख्म नए , पर दर्द वही पुराना है, दिल के दर्द से तड़प रहा जमाना है.
किसी का उठ गया भरोसा वफ़ा से, तो कोई रह गया अभी आजमाना है.
अभी दूरी के दर्द से उभरे तक नहीं, आगे भुगतना यादो का खामियाना है.

दर्द का दिल में खंजर उतार देती है, ये इश्क आँखों में समंदर बखेर देती है.
कभी मुस्कराती है फूल सी जिंदगी, तो कभी गम का बंजर उधार देती है.

ज़रा सा है बड़े काम करता है, ये दिल खुल्ले में कत्ले-आम करता है.
किसी का कर देता है नाम रोशन, तो किसी को यूँही बदनाम करता है.

"तेज बारिश बड़ा तूफ़ान संग सैलाब भी है, मेरा दर्द क्या खूब लाजवाब भी है.
कभी सवाल है मोहोब्बत का हर लफ्ज़, तो कभी दर्द भरा जवाब भी है,
             यही छोटी सी है जिंदगी तो यही बड़ा खवाब भी है"

किसीको जरुरत ही नहीं होती , तो किसीको पड़ जाती कम है .
कही इश्क ही है हर ख़ुशी तो कही पर बे-इन्तेहाँ ये गम है.
वो ख़ुशी से है भरी आँखें , और ये गम से पड़ी नम है.


"कोई सुबह नहीं है कोई शाम नहीं है, दर्द में थोडा भी आराम नहीं है.
आदत है उसकी मेरे जख्मो से खेलना, और दूजा कोई  काम नहीं है.
        मेरी दुनिया में भर चूका है, दर्द-वो -गम का खजाना
              और एक छोटा सा जखम भी उसके नाम नहीं है"

दिल खो गया धड़कन भटक रही है, यादों की पतंग जाके तुझपे अटक रही है.
जाते-२ जो तूने भूलने को कह दिया, ये बात आज तक मुझको खटक रही है.

तुझे पाया तो मिला गम,
तुझे खोया तो जखम,
मर-२ के जी रहे है
तुझसे मिलने के बाद हम.
साँसे पड़ी है धीमी,
और धड़कन भी हुई नम,
देखा नहीं जहाँ में
कोई मोहोब्बत सा बेरहम.

Sunday, April 1, 2012

डूबती हुई साँसों में तेरा एहसास भर गई

आई हवा और मुझको छूकर गुज़र गई,
डूबती हुई साँसों में तेरा एहसास भर गई,
तिरछी नज़रों से देखती थी  हाले-दिल,
अनदेखा कर दिया जब मेरी नज़र गई,
जो आज मेरे दिल की चाल ज़रा बदली,
सीने पे हाँथ रखा तो धड़कन भी मर गई,
कि प्यार का कभी मैंने भी पल बुना था,
अब बीत मेरे सपनो की वो भी पहर गई,
मूनहूश किस घडी में तुझसे दिल लगाया,
तेरी दिल्लगी मेरी खुशियाँ को हर गई,
सुनसान राहों में तुने जहाँ था छोड़ा,
मेरी जिंदगी वहीँ कहीं पीछे ठहर गई,
सोंचा जो नहीं था वो भी हो गया,
जख्मो हर एक मेरी नस डर गई,
कैसे मैं संभालूं, कैसे मैं बचाऊं
दरिया के बीच मेरी कश्ती उतर गई,
दिखने मुझे लगा था छोटा सा किनारा,
हौले से डूबा मुझको तभी लहर गई.....

एक पल में धोखा

मोहोब्बत का मज़ा बड़ा अलग, बहुत अनोखा,
एक पल में
ऐतबार, तो एक पल में धोखा,  
कोई गम से भीगा , किसी को दर्द ने सोखा,
कभी रोने से नहीं फुर्सत,कभी हँसते नहीं देखा,
ग़लतफ़हमी है कहीं,
कहीं है भाग्य का लेखा,
कभी नज़र नहीं पड़ती,कुछ दिखकर भी अनदेखा
कहीं फूलों का आशियाना, कहीं काँटों का झरोखा,


 

कोई मजबूर है तो किसी का पेशा है,
कोई दर्द से बहुत चूर भी हमेशा है, 
कहानी बुनी है किस्मत ने जिंदगी में
यही किस्मत ही दिल की भेषभूषा है,
कभी ज़हन में अपने दफ़न हैं राज़,
तो कभी अपना दिल ही एक शीशा है,


मोटी बात है दिल से छनती नहीं,
मोहोब्बत से मेरी ज़रा बनती नहीं,
आदत है धोके से शिकार करने की,
ये अदा मेरे जहन में पलती नहीं,
एक बार जो उतर जाए दिल से,
फिर चाहत दिल में चढ़ती नहीं,
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