आई हवा और मुझको छूकर गुज़र गई,
डूबती हुई साँसों में तेरा एहसास भर गई,
तिरछी नज़रों से देखती थी हाले-दिल,
अनदेखा कर दिया जब मेरी नज़र गई,
जो आज मेरे दिल की चाल ज़रा बदली,
सीने पे हाँथ रखा तो धड़कन भी मर गई,
कि प्यार का कभी मैंने भी पल बुना था,
अब बीत मेरे सपनो की वो भी पहर गई,
मूनहूश किस घडी में तुझसे दिल लगाया,
तेरी दिल्लगी मेरी खुशियाँ को हर गई,
सुनसान राहों में तुने जहाँ था छोड़ा,
मेरी जिंदगी वहीँ कहीं पीछे ठहर गई,
सोंचा जो नहीं था वो भी हो गया,
जख्मो हर एक मेरी नस डर गई,
कैसे मैं संभालूं, कैसे मैं बचाऊं
दरिया के बीच मेरी कश्ती उतर गई,
दिखने मुझे लगा था छोटा सा किनारा,
हौले से डूबा मुझको तभी लहर गई.....
डूबती हुई साँसों में तेरा एहसास भर गई,
तिरछी नज़रों से देखती थी हाले-दिल,
अनदेखा कर दिया जब मेरी नज़र गई,
जो आज मेरे दिल की चाल ज़रा बदली,
सीने पे हाँथ रखा तो धड़कन भी मर गई,
कि प्यार का कभी मैंने भी पल बुना था,
अब बीत मेरे सपनो की वो भी पहर गई,
मूनहूश किस घडी में तुझसे दिल लगाया,
तेरी दिल्लगी मेरी खुशियाँ को हर गई,
सुनसान राहों में तुने जहाँ था छोड़ा,
मेरी जिंदगी वहीँ कहीं पीछे ठहर गई,
सोंचा जो नहीं था वो भी हो गया,
जख्मो हर एक मेरी नस डर गई,
कैसे मैं संभालूं, कैसे मैं बचाऊं
दरिया के बीच मेरी कश्ती उतर गई,
दिखने मुझे लगा था छोटा सा किनारा,
हौले से डूबा मुझको तभी लहर गई.....
nice blog & equally nice poem.
ReplyDeleteबहुत खूब क्या बात है ......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteधन्यवाद
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