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Sunday, April 1, 2012

डूबती हुई साँसों में तेरा एहसास भर गई

आई हवा और मुझको छूकर गुज़र गई,
डूबती हुई साँसों में तेरा एहसास भर गई,
तिरछी नज़रों से देखती थी  हाले-दिल,
अनदेखा कर दिया जब मेरी नज़र गई,
जो आज मेरे दिल की चाल ज़रा बदली,
सीने पे हाँथ रखा तो धड़कन भी मर गई,
कि प्यार का कभी मैंने भी पल बुना था,
अब बीत मेरे सपनो की वो भी पहर गई,
मूनहूश किस घडी में तुझसे दिल लगाया,
तेरी दिल्लगी मेरी खुशियाँ को हर गई,
सुनसान राहों में तुने जहाँ था छोड़ा,
मेरी जिंदगी वहीँ कहीं पीछे ठहर गई,
सोंचा जो नहीं था वो भी हो गया,
जख्मो हर एक मेरी नस डर गई,
कैसे मैं संभालूं, कैसे मैं बचाऊं
दरिया के बीच मेरी कश्ती उतर गई,
दिखने मुझे लगा था छोटा सा किनारा,
हौले से डूबा मुझको तभी लहर गई.....

4 comments:

  1. indu chhibberApril 1, 2012 at 5:24 PM

    nice blog & equally nice poem.

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  2. Sunil KumarApril 1, 2012 at 6:01 PM

    बहुत खूब क्या बात है ......

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  3. Kailash SharmaApril 1, 2012 at 7:46 PM

    बहुत सुन्दर ...

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  4. Arun SharmaApril 2, 2012 at 12:58 PM

    धन्यवाद

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