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Monday, June 24, 2013

ग़ज़ल : गिरगिट की भांति बदले जो रंग दोस्तों

फाईलु / फाइलातुन / फाईलु / फाइलुन
वज्न : २२१, २१२२, २२१, २१२

नैनो के जानलेवा औजार से बचें,
करुणा दया ख़तम दिल में प्यार से बचें,

पत्थर से दोस्त वाकिफ बेशक से हों न हों,
है आईने की फितरत दीदार से बचें,

आदत सियासती है धोखे से वार की,
तलवार से डरे ना सरकार से बचें,

महँगाई छू रही अब आसमान को,
परिवार खुश रहेगा विस्तार से बचें,

गिरगिट की भांति बदले जो रंग दोस्तों,
जीवन में खास ऐसे किरदार से बचें,

नफरत नहीं गरीबों के वास्ते सही,
यारों सदा दिमागी बीमार से बचें,

जो चासनी लबों पर रख के चले सदा,
धोखा मिलेगा ऐसे मक्कार से बचें,

20 comments:

  1. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)June 24, 2013 at 12:33 PM

    अरुण जी बहुत उम्दा ग़ज़ल लिखी है आपने!
    साधुवाद!

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  2. प्रवीण पाण्डेयJune 24, 2013 at 12:51 PM

    बहुत खूब, सच कहा है।

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  3. धीरेन्द्र सिंह भदौरियाJune 24, 2013 at 2:41 PM

    वाह !!! बहुत बढ़िया,सुंदर गजल ,,,

    Recent post: एक हमसफर चाहिए.

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  4. Manjusha pandeyJune 24, 2013 at 2:44 PM

    बेहतरीन लव्ज .........नफरत नहीं गरीबों के वास्ते सही ....एक उम्दा गजल

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  5. Rajesh KumariJune 24, 2013 at 7:19 PM

    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २५ /६ /१३ को चर्चा मंच में राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।

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  6. अजय कुमार झाJune 24, 2013 at 8:20 PM

    बहुत ही कमाल की गज़ल , बहुत खूब ।

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  7. पी.सी.गोदियाल "परचेत"June 25, 2013 at 9:10 AM

    आदत सियासती है धोखे से वार की,
    तलवार से डरे ना सरकार से बचें,

    महँगाई छू रही अब आसमान को,
    परिवार खुश रहेगा विस्तार से बचें,

    Lazabaab, Bahut Sundar !!

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  8. Madan Mohan SaxenaJune 25, 2013 at 11:25 AM

    उम्दा गजल .

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  9. कालीपद प्रसादJune 25, 2013 at 4:25 PM

    बहुत उम्दा प्रस्तुति !
    latest post जिज्ञासा ! जिज्ञासा !! जिज्ञासा !!!

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  10. Reena MauryaJune 25, 2013 at 5:28 PM

    बहुत ही बेहतरीन गजल...
    :-)

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  11. कविता रावतJune 25, 2013 at 6:49 PM

    सही नसीहत देती प्रस्तुति ...

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  12. सरिता भाटियाJune 25, 2013 at 11:31 PM

    क्या बात है ?
    नमस्कार
    आपकी यह रचना कल बुधवार (26-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधार कर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य रखें |
    सादर
    सरिता भाटिया

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  13. Virendra Kumar SharmaJune 26, 2013 at 12:33 AM


    आदत सियासती है धोखे से वार की,
    तलवार से डरे ना सरकार से बचें,


    आदत सियासती है धोखे से वार की,
    तलवार से डरे ना सरकार से बचें,

    समेटे है सियासत के तमाम रंग है ग़ज़ल ,खूब सूरत चयन है सेतुओं का चर्चा -ए -मंच पर ,बिठाया है आपने हमको भी मंच पर .शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया शाश्त्री जी अरुण अनंत जी ......

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  14. दिगम्बर नासवाJune 26, 2013 at 12:11 PM

    गिरगिट की भांति बदले जो रंग दोस्तों,
    जीवन में खास ऐसे किरदार से बचें,..

    क्या बात है ... लाजवाब शेर है .. पूरी गज़ल के शेर कहन की चुस्ती लिए .. स्पष्ट भाव लिए ...

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  15. संजय भास्‍करJune 26, 2013 at 2:38 PM

    क्या बात है उम्दा गजल

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  16. राज चौहानJune 28, 2013 at 5:59 AM

    गिरगिट की भांति बदले जो रंग दोस्तों,
    जीवन में खास ऐसे किरदार से बचें,..

    क्या बात है ..

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  17. premkephool.blogspot.comJune 28, 2013 at 3:55 PM

    बहुत उम्दा प्रस्तुति !

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  18. Darshan JangaraJune 28, 2013 at 3:56 PM

    बहुत सुन्दर

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  19. Aparna SahJuly 2, 2013 at 8:12 PM

    achhi nasihat....umda vichar..

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  20. हरकीरत ' हीर'July 3, 2013 at 8:25 PM

    क्या बात है अनंत जी गज़ब लिखते हैं ....!!

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