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आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

Monday, April 9, 2012

मुझे वापस वही पल चाहिए

मुझे वापस वही पल चाहिए,
इस दर्दे दिल का हल चाहिए,
बक्श मेरे आंखों की वही ख़ुशी
और बहता हुआ नहीं जल चाहिए
बरसों तक देता रहा इन्तेम्हान
अब मुझे, मेरे सबर का फल चाहिए 
जीना चाहता हूँ एक नयी जन्दगी
जुदा यादों से मेरा बीता कल चाहिए
तमाम सपने सजाये हैं आज मैंने
रात आँखों में आज जानी ढल चाहिए

3 comments:

  1. AmitAagApril 9, 2012 at 2:43 PM

    ...bahut sunder likha hai aapne Arun!

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  2. Arun SharmaApril 9, 2012 at 3:38 PM

    Thanks alot Amit Sir

    ReplyDelete
  3. NasirApril 9, 2012 at 8:24 PM

    Bahut Khoob :)

    Keep Blogging!

    ReplyDelete
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