परस्पर प्रेम का नाता पुरातन छोड़ आया हूँ,
नगर की चाह में मैं गाँव पावन छोड़ आया हूँ,
नगर की चाह में मैं गाँव पावन छोड़ आया हूँ,
सरोवर गुल बहारें स्वच्छ उपवन छोड़ आया हूँ.
सुगन्धित धूप से तुलसी का आँगन छोड़ आया हूँ,
सुगन्धित धूप से तुलसी का आँगन छोड़ आया हूँ,
कि जिन नैनों में केवल प्रेम का सागर छलकता था,
हमेशा के लिए मैं उनमें सावन छोड़ आया हूँ,
हमेशा के लिए मैं उनमें सावन छोड़ आया हूँ,
गगनचुम्बी इमारत की लिए मैं लालसा मन में,
बुजुर्गों की हवेली माँ का दामन छोड़ आया हूँ.
बुजुर्गों की हवेली माँ का दामन छोड़ आया हूँ.
मिलन को हर घड़ी व्याकुल तड़पती प्रियतमा का मैं,
विरह की वेदना में टूटता मन छोड़ आया हूँ,
विरह की वेदना में टूटता मन छोड़ आया हूँ,
अपरिचित व्यक्तियों से मैं नया रिश्ता बनाने को,
जुड़े बचपन से कितने दिल के बंधन छोड़ आया हूँ.
जुड़े बचपन से कितने दिल के बंधन छोड़ आया हूँ.