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Wednesday, April 11, 2012

शिकवा नहीं कसम से मैं करता हूँ सिफारिश

शिकवा नहीं कसम से मैं करता हूँ सिफारिश,
तुम मेरा तन भिगो दो चाहत की करके बारिश,
जीने दो मुझे कल तक, या आज मार दो तुम,
मैंने बना दिया अपनी साँसों का तुझको वारिश,
जी भर के देख लूँ मैं, बस इक बार सामने आ,
तेरी तस्वीर खींचने की आँखों ने की गुजारिश,
 
ख्वाइश है ये ज़रा सी तमन्ना भी बस यही है, 
कभी मेरे जहन से न मिटे प्यार की ये खारिश....

12 comments:

  1. Sunil KumarApril 11, 2012 at 8:32 PM

    बहुत खुबसूरत ग़ज़ल दाद तो कुबूल करनी ही होगी ...

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  2. Sushil Kumar JoshiApril 12, 2012 at 7:01 AM

    आमीन !!

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  3. रचना दीक्षितApril 12, 2012 at 7:14 AM

    बेहतरीन तमन्नाएं और ख्वाहिशें...

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  4. संजय भास्करApril 12, 2012 at 8:35 AM

    बहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ

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  5. दिलबाग विर्कApril 12, 2012 at 11:41 AM

    आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    http://charchamanch.blogspot.in/2012/04/847.html
    चर्चा - 847:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  6. Arun SharmaApril 12, 2012 at 11:48 AM

    आप सभी का धन्यवाद.....

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  7. वन्दनाApril 12, 2012 at 12:45 PM

    बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  8. Arun SharmaApril 12, 2012 at 1:32 PM

    शुक्रिया वंदना जी

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  9. ***Punam***April 12, 2012 at 4:40 PM

    AMEEN.....

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  10. Arun SharmaApril 12, 2012 at 5:46 PM

    धन्यवाद पूनम जी

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  11. anju(anu) choudharyApril 12, 2012 at 5:57 PM

    खूबसूरत एहसास .....

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  12. Arun SharmaApril 13, 2012 at 11:26 AM

    बहुत-२ शुक्रिया अंजू जी

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