शिकवा नहीं कसम से मैं करता हूँ सिफारिश,
तुम मेरा तन भिगो दो चाहत की करके बारिश,
जीने दो मुझे कल तक, या आज मार दो तुम,
मैंने बना दिया अपनी साँसों का तुझको वारिश,
जी भर के देख लूँ मैं, बस इक बार सामने आ,
तेरी तस्वीर खींचने की आँखों ने की गुजारिश,
ख्वाइश है ये ज़रा सी तमन्ना भी बस यही है,
कभी मेरे जहन से न मिटे प्यार की ये खारिश....
तुम मेरा तन भिगो दो चाहत की करके बारिश,
जीने दो मुझे कल तक, या आज मार दो तुम,
मैंने बना दिया अपनी साँसों का तुझको वारिश,
जी भर के देख लूँ मैं, बस इक बार सामने आ,
तेरी तस्वीर खींचने की आँखों ने की गुजारिश,
ख्वाइश है ये ज़रा सी तमन्ना भी बस यही है,
कभी मेरे जहन से न मिटे प्यार की ये खारिश....
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल दाद तो कुबूल करनी ही होगी ...
ReplyDeleteआमीन !!
ReplyDeleteबेहतरीन तमन्नाएं और ख्वाहिशें...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ
ReplyDeleteआपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.in/2012/04/847.html
चर्चा - 847:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
आप सभी का धन्यवाद.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteशुक्रिया वंदना जी
ReplyDeleteAMEEN.....
ReplyDeleteधन्यवाद पूनम जी
ReplyDeleteखूबसूरत एहसास .....
ReplyDeleteबहुत-२ शुक्रिया अंजू जी
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