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आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

Thursday, April 26, 2012

खुदा रहम नहीं करता

खुदा रहम नहीं करता, मुझे ख़तम नहीं करता,
मुझको गम देने वाला, खुद गम नहीं करता,
मेरी मासूम नज़रों को घेर बदली ने रखा है,
धार अश्कों की, ज़रा भी कम नहीं करता,
बिखर के चूर हो गया, मैं सबसे दूर हो गया,
कोई मेरे दिल से अब संगम नहीं करता,
किसी के छलनी जिस्म पर कितने ही तीर मारो,
लफ्ज़ के खंज़र से ज्यादा कुछ जखम नहीं करता,
फूलों ने छू, मुझे पत्थर बना दिया, 
जलता सूरज भी जिस्म मेरा नरम नहीं करता.

1 comment:

  1. Diwakar NarayanMay 1, 2012 at 6:56 AM

    NIce ghazal..however, can you tell me the meaning of the last line please?

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