कंगाल मेरा दिल, मैं बेजबान हो गया,
तेरी नज़र की बान पे कुरबान हो गया,
कितनी हरी-भरी थी मेरी जिंदगी,
तेरा रंग चढ़ा, तो पासबान हो गया,
मैंने बक्शा था सिर्फ दिलपे हक तेरा,
जाने कब साँसों का निगहबान हो गया,
मैंने ही कहा था मुझसे अपने दर्द दे दो,
जख्म मेरी इस अदा पे मेहरबान हो गया,
(पासबान = संतरी, निगहबान = अभिभावक)
तेरी नज़र की बान पे कुरबान हो गया,
कितनी हरी-भरी थी मेरी जिंदगी,
तेरा रंग चढ़ा, तो पासबान हो गया,
मैंने बक्शा था सिर्फ दिलपे हक तेरा,
जाने कब साँसों का निगहबान हो गया,
मैंने ही कहा था मुझसे अपने दर्द दे दो,
जख्म मेरी इस अदा पे मेहरबान हो गया,
(पासबान = संतरी, निगहबान = अभिभावक)
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