कभी शरीफ तो कभी निहायत बत्तमीज़ हो,
पागल मेरे दिल को फिर भी तुम अज़ीज़ हो,आँखों में तेरी सूरत चाँद से भी खुबसूरत,
तुम्हे होंठों पर रखूं तो बेहद लज़ीज़ हो,
ओढ़ी है मैंने मन पर तेरे तन की चादर,
मेरे दिल ने जो पहनी तुम वो कमीज़ हो,
जान से भी ज्यादा हिफाज़त तेरी करूँ,
साँसों से बढकर,तुम कीमत की चीज़ हो..
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