दवा कोई भी मेरे जखम भर नहीं पाई ,
बिगड़े हालात तो हालत सुधर नहीं पाई,
मुश्किलों ने दरवाजे पर ताला लगा दिया,
रौशनी कमरों में फिर कभी भर नहीं पाई,
मैं हर दिन तिनका -तिनका मरा हूँ,
यादें तेरी लेकिन मुझमे मर नहीं पाई,
घंटों बैठा रहता हूँ समंदर किनारे,
जो डुबा दे मुझे वो लहर नहीं आई....
बिगड़े हालात तो हालत सुधर नहीं पाई,
मुश्किलों ने दरवाजे पर ताला लगा दिया,
रौशनी कमरों में फिर कभी भर नहीं पाई,
मैं हर दिन तिनका -तिनका मरा हूँ,
यादें तेरी लेकिन मुझमे मर नहीं पाई,
घंटों बैठा रहता हूँ समंदर किनारे,
जो डुबा दे मुझे वो लहर नहीं आई....
मैं हर दिन तिनका -तिनका मरा हूँ,
प्रत्युत्तर देंहटाएंयादें तेरी लेकिन मुझमे मर नहीं पाई,
....बहुत खूब !
बहुत बहुत शुक्रिया (SIR)
प्रत्युत्तर देंहटाएंवाह...................
प्रत्युत्तर देंहटाएंबहुत खूबसूरत....
शुक्रिया
प्रत्युत्तर देंहटाएंशोभा चर्चा-मंच की, बढ़ा रहे हैं आप |
प्रत्युत्तर देंहटाएंप्रस्तुति अपनी देखिये, करे संग आलाप ||
मंगलवारीय चर्चामंच ||
charchamanch.blogspot.com
बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति...
प्रत्युत्तर देंहटाएंमुश्किलों ने दरवाजे पर ताला लगा दिया,
प्रत्युत्तर देंहटाएंरौशनी कमरों में फिर कभी भर नहीं पाई
Gahari Abhivykti...
सुंदर भावाभिव्यक्ति।
प्रत्युत्तर देंहटाएंगहन भाव व्यक्त करती सुन्दर रचना.....
प्रत्युत्तर देंहटाएंAaj yah rachna CHARCHA_MANCH par hai |
प्रत्युत्तर देंहटाएंशोभा चर्चा-मंच की, बढ़ा रहे हैं आप |
प्रत्युत्तर देंहटाएंप्रस्तुति अपनी देखिये, करे संग आलाप ||
मंगलवारीय चर्चामंच ||
charchamanch.blogspot.com
बहुत खूबसूरत....
प्रत्युत्तर देंहटाएंशुक्रिया संजय भाई
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