ओ बी ओ महोत्सव अंक ३२ वें में विषय "पाखण्ड" पर आधारित कुछ दोहे.
लोभी पहने देखिये, पाखण्डी परिधान ।
चिकनी चुपड़ी बात में, क्यों आता नादान ।।
नित पाखण्डी खेलता, तंत्र मंत्र का खेल ।
अपनी गाड़ी रुक गई, इनकी दौड़ी रेल ।।
पंडित बाबा मौलवी, जोगी नेता नाम ।
पाखण्डी ये लोग हैं, धोखा इनका काम ।।
खुलके बच्चा मांग ले, आया है दरबार ।
भेंट चढ़ा दे प्रेम से, खुश होगा परिवार ।।
होते पाखंडी सभी, बड़े पैंतरे बाज ।
धीरे धीरे हो रहा, इनका बड़ा समाज ।।
हींग लगे न फिटकरी, धंधा भाये खूब ।
इनकी चांदी हो गई, निर्धन गया है डूब ।।
ठग बैठा पोशाक में, बना महात्मा संत ।
अपनी झोली भर रहा, कर दूजे का अंत ।।
22 comments:
महेन्द्र श्रीवास्तवJune 12, 2013 at 11:53 AM
क्या बात है, समाज की हकीकत को बेपर्दा करते दोहे।
बहुत सुंदरॉ
मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html
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राजेंद्र कुमारJune 12, 2013 at 1:32 PM
आपकी यह रचना कल गुरुवार (13-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
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sushilaJune 12, 2013 at 1:38 PM
सार्थक और सुंदर दोहे।
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प्रवीण पाण्डेयJune 12, 2013 at 4:06 PM
बहुत ख़ूब, क्या धोया है।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)June 12, 2013 at 6:34 PM
खुलके बच्चा मांग ले, आया है दरबार ।
भेंट चढ़ा दे प्रेम से, खुश होगा परिवार।।
--
वत्स कहीं आपके घर में भी किसी बाबा का शुभाशीष तो नहीं फलीभूत होगा।
--
बहुत सुन्दर सीखदेते बढ़िया दोहे!
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दिलबाग विर्कJune 12, 2013 at 9:04 PM
आपकी यह प्रस्तुति कल चर्चा मंच पर है
धन्यवाद
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धीरेन्द्र सिंह भदौरियाJune 13, 2013 at 12:25 AM
कमाल के सुंदर दोहे ,, बधाई अरुन जी
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pushpey omJune 13, 2013 at 5:50 AM
प्यार से धोना इसे कहते है..मजा आ गया.....साभार
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pushpey omJune 13, 2013 at 5:50 AM
प्यार से धोना इसे कहते है..मजा आ गया.....साभार
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वाणी गीतJune 13, 2013 at 6:30 AM
आजकल के मौसम पर सटीक पंक्तियाँ , कलियुग इसी को कहा जाता होगा !
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अरुणाJune 13, 2013 at 6:50 AM
बहुत सुन्दर दोहे ........बदलते समाज को समर्पित ........
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कालीपद प्रसादJune 13, 2013 at 9:25 AM
सटीक अभिव्यक्ति !
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
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पूरण खण्डेलवालJune 13, 2013 at 10:38 AM
सुन्दर कटाक्षपूर्ण दोहे !!
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संध्या शर्माJune 13, 2013 at 2:57 PM
यही सब हो रहा है हमारे समाज में लोग जानते - बूझते हुए भी इनके चंगुल में फंसते जा रहे हैं, और फल-फूल रहा है ढोंगियों का कारोबार...
सार्थक दोहे ... शुभकामनायें
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HiteshJune 13, 2013 at 9:53 PM
आज के परिप्रेक्ष्य में एक एक दोहा सटीक निशाने पे लगा है !!
आशा करता हूँ आपका ये प्रयास जारी रहेगा !!
बेहतरीन बेहतरीन बेहतरीन !!
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सरिता भाटियाJune 13, 2013 at 10:39 PM
क्या बात है !!
सामयिक दोहे
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Manjusha pandeyJune 14, 2013 at 7:14 PM
समाज में बढ़ते पाखंड को सच्चे अर्थों में दर्शाते दोहे ....अति सुंदर
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Virendra Kumar SharmaJune 15, 2013 at 8:41 PM
बेहतरीन व्यंग्य विडंबन दोहावली रूप में .शुक्रिया हमारी चर्चा मंच प्रविष्ठी पर
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दिगम्बर नासवाJune 16, 2013 at 2:06 PM
अच्छे दोहे ... आज के हालात पे सटीक तप्सरा ...
मज़ा आया पढ़ के ...
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ज्योति-कलशJune 16, 2013 at 3:25 PM
आप बहुत सुन्दर ,सार्थक लिखते हैं ..
बहुत शुभ कामनाओं के साथ
ज्योत्स्ना शर्मा
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संजय भास्करJune 26, 2013 at 2:40 PM
बहुत सुन्दर दोहे..बेहतरीन व्यंग्य
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Reena MauryaJuly 20, 2013 at 2:23 PM
जवाब नहीं इस रचना का..
बेहतरीन..बेहतरीन...
:-)
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आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर
क्या बात है, समाज की हकीकत को बेपर्दा करते दोहे।
ReplyDeleteबहुत सुंदरॉ
मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html
आपकी यह रचना कल गुरुवार (13-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteसार्थक और सुंदर दोहे।
ReplyDeleteबहुत ख़ूब, क्या धोया है।
ReplyDeleteखुलके बच्चा मांग ले, आया है दरबार ।
ReplyDeleteभेंट चढ़ा दे प्रेम से, खुश होगा परिवार।।
--
वत्स कहीं आपके घर में भी किसी बाबा का शुभाशीष तो नहीं फलीभूत होगा।
--
बहुत सुन्दर सीखदेते बढ़िया दोहे!
आपकी यह प्रस्तुति कल चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteधन्यवाद
कमाल के सुंदर दोहे ,, बधाई अरुन जी
ReplyDeleteप्यार से धोना इसे कहते है..मजा आ गया.....साभार
ReplyDeleteप्यार से धोना इसे कहते है..मजा आ गया.....साभार
ReplyDeleteआजकल के मौसम पर सटीक पंक्तियाँ , कलियुग इसी को कहा जाता होगा !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दोहे ........बदलते समाज को समर्पित ........
ReplyDeleteसटीक अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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सुन्दर कटाक्षपूर्ण दोहे !!
ReplyDeleteयही सब हो रहा है हमारे समाज में लोग जानते - बूझते हुए भी इनके चंगुल में फंसते जा रहे हैं, और फल-फूल रहा है ढोंगियों का कारोबार...
ReplyDeleteसार्थक दोहे ... शुभकामनायें
आज के परिप्रेक्ष्य में एक एक दोहा सटीक निशाने पे लगा है !!
ReplyDeleteआशा करता हूँ आपका ये प्रयास जारी रहेगा !!
बेहतरीन बेहतरीन बेहतरीन !!
क्या बात है !!
ReplyDeleteसामयिक दोहे
समाज में बढ़ते पाखंड को सच्चे अर्थों में दर्शाते दोहे ....अति सुंदर
ReplyDeleteबेहतरीन व्यंग्य विडंबन दोहावली रूप में .शुक्रिया हमारी चर्चा मंच प्रविष्ठी पर
ReplyDeleteअच्छे दोहे ... आज के हालात पे सटीक तप्सरा ...
ReplyDeleteमज़ा आया पढ़ के ...
आप बहुत सुन्दर ,सार्थक लिखते हैं ..
ReplyDeleteबहुत शुभ कामनाओं के साथ
ज्योत्स्ना शर्मा
बहुत सुन्दर दोहे..बेहतरीन व्यंग्य
ReplyDeleteजवाब नहीं इस रचना का..
ReplyDeleteबेहतरीन..बेहतरीन...
:-)