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Saturday, April 7, 2012

बरसों से दर्द-दे-दिल दिल में जमा रहा

बरसों से दर्द-दे-दिल दिल में जमा रहा
कभी वक़्त मुझमे गुजरा कभी थमा रहा
तुझसे दूर चला आया, तेरा शहर छोड़ आया
फिर भी बच न पाया, तेरी यादों का बुरा साया
मेरा पीछा करते-करते लो यहाँ तक चला आया
बर्बाद जिंदगी का यूँ ही सारा समां रहा

बरसों से दर्द-दे-दिल दिल में जमा रहा
तन्हाई से भरा, तन्हा मेरा सफ़र
समय की धारा में ढलती रही उमर
अब मेरी जिंदगी को मेरी नहीं कदर
साँसे भी कह रहीं है क्यूँ जाता नहीं मर
दिल आज भी वही पुराना दर्द कमा रहा
कभी वक़्त मुझमे गुजरा कभी थमा रहा

2 comments:

  1. AmitAagApril 7, 2012 at 12:42 PM

    bahut sunder likha hai Arun! The last two lines are superb!

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  2. Arun SharmaApril 7, 2012 at 1:39 PM

    Thank you so much Amit Ji.

    ReplyDelete
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