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Wednesday, April 4, 2012

बनते-बनते ज़रा सी बात रह गई

बनते-बनते ज़रा सी बात रह गई,
सिमट के सारी कायनात रह गई,
तकदीर के तसब्बुर में तेरा नाम ना था,
बस यादों के तू मेरे साथ रह गई,
यूँ तो भुला बैठा हूँ बहुत कुछ मगर,
हलकी-हलकी याद वही रात रह गई,
बरसती आँखें हैं समय के साथ-साथ
जिंदगी बनके मेरी ख़ाक रह गई,
तेरी सलामती की दुआ है दिल में,
इंसानियत की मुझमे जात रह गई,

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