ख़ुशी के मौके दूर से टालती जिंदगी,
दर्दे-दिल को उमरभर पालती जिंदगी,
धकेल कर खुद को जलती आग में,
बड़े शौक से खुद को उबालती जिंदगी,
कि झोंके ने आशियाना उजाड़ डाला,
बिखरे तिनकों को संभालती जिंदगी,
बैठ कर फुर्सत में एक दिन यूँ ही,
भार जख्मों का तौलती जिंदगी,
फैला रेत का कारवां मिलो तलक,
भार के मुट्ठी रेत फिसालती जिंदगी,
इंतज़ार करते-२ नयी सुबह कि,
रात आँखों में ढालती जिंदगी,
रूठे-2 से क्यूँ लोग मुझसे रहते हैं,
वजह इस बात की खंगालती जिंदगी.
दर्दे-दिल को उमरभर पालती जिंदगी,
धकेल कर खुद को जलती आग में,
बड़े शौक से खुद को उबालती जिंदगी,
कि झोंके ने आशियाना उजाड़ डाला,
बिखरे तिनकों को संभालती जिंदगी,
बैठ कर फुर्सत में एक दिन यूँ ही,
भार जख्मों का तौलती जिंदगी,
फैला रेत का कारवां मिलो तलक,
भार के मुट्ठी रेत फिसालती जिंदगी,
इंतज़ार करते-२ नयी सुबह कि,
रात आँखों में ढालती जिंदगी,
रूठे-2 से क्यूँ लोग मुझसे रहते हैं,
वजह इस बात की खंगालती जिंदगी.
बहुत खूब
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeletebahut hi prerit aur bhavpurn rachna.........
ReplyDeleteबहुत खूब क्या बात है मुबारक हो .........
ReplyDeleteवाह...............
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत रचना.............
दिल को छू गयी
अनु