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आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

Saturday, June 23, 2012

मेरी माँ का ये दरबार


सबको भर - भर के देता प्यार, मेरी माँ का ये दरबार,
माँ रखती हैं उसका ध्यान,
जो दिल से देता है सम्मान,
करता खुशियों की बौछार, मेरी माँ का ये दरबार,
कभी आती नहीं बिपदा,
मैं माँ का नाम हूँ जपता,
चैन से भरता है घर-बार, मेरी माँ का ये दरबार,
सुबह और शाम को प्रणाम,
निशदिन करता हूँ ये काम,
बढा देता है हर व्यापार, मेरी माँ का ये दरबार,
हो गया एक रिश्ता नया शुरू,
माँ मेरी अब माँ से बनी गुरु,
बसाता सुख के कई संसार, मेरी माँ का दरबार........

1 comment:

  1. VIJAY KUMAR VERMAJune 25, 2012 at 3:52 PM

    बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....

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