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Tuesday, August 6, 2013

तुम प्रेम प्रतिज्ञा भूल गई

तुम प्रेम प्रतिज्ञा भूल गई,
मैं भूल गया दुनिया दारी,
पहले दिल का बलिदान दिया,
हौले - हौले धड़कन हारी.

खुशियाँ घर आँगन छोड़ चली,
तुम मुझसे जो मुँह मोड़ चली,
मैं अपनी मंजिल भटक गया,
इन दो लम्हों में अटक गया,

मुरझाई खिलके फुलवारी,
हौले - हौले धड़कन हारी.

मन व्याकुल है बेचैनी है,
यादों की छूरी पैनी है,
नैना सागर भर लेते हैं,
हम अश्कों से तर लेते हैं,

हर रोज चले दिल पे आरी,
हौले - हौले धड़कन हारी...

14 comments:

  1. कालीपद प्रसादAugust 6, 2013 at 11:41 AM


    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
    latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!
    latest post,नेताजी कहीन है।

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  2. shorya MalikAugust 6, 2013 at 12:00 PM

    वाह बहुत खूब अरुण भाई

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  3. प्रवीण पाण्डेयAugust 6, 2013 at 12:18 PM

    धड़कन पर अधिकार तुम्हारा

    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ

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  4. ranjana bhatiaAugust 6, 2013 at 1:59 PM

    bahut sundar rachna lagi aapki yah arun

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  5. kebhariAugust 6, 2013 at 3:16 PM

    atti uttam...

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  6. Reena MauryaAugust 6, 2013 at 6:08 PM

    जवाब नहीं बहुत खूब रचना...

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  7. सरिता भाटियाAugust 6, 2013 at 6:55 PM

    बहुत सुंदर शब्द पिरोये हैं इस धडकन के धागों में

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  8. प्रतिभा सक्सेनाAugust 6, 2013 at 10:50 PM

    सरस और सुन्दर !

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  9. राजेंद्र कुमारAugust 7, 2013 at 9:23 AM

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति,बहुत सुन्दर.

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  10. Aparna SahAugust 7, 2013 at 1:24 PM

    हर रोज चले दिल पे आरी,
    हौले - हौले धड़कन हारी...yesa hi hota hai....so nice

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  11. धीरेन्द्र सिंह भदौरियाAugust 7, 2013 at 8:29 PM

    सुंदर पंक्तियों से सजी लाजबाब रचना ,,,

    RECENT POST : तस्वीर नही बदली

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  12. Virendra Kumar SharmaAugust 11, 2013 at 8:07 AM


    बढ़िया प्रस्तुति है। यादों की छुरियाँ पैनी हैं। कुछ तेरी हैं कुछ मेरी हैं।

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  13. सुशीलAugust 12, 2013 at 9:04 AM

    बहुत सुंदर !

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  14. सतीश चन्द्र सत्यार्थीAugust 12, 2013 at 6:58 PM

    अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर अरुन भाई..
    आपकी कविताएँ वाकई अच्छी हैं..

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