तुम प्रेम प्रतिज्ञा भूल गई,
मैं भूल गया दुनिया दारी,
पहले दिल का बलिदान दिया,
हौले - हौले धड़कन हारी.
खुशियाँ घर आँगन छोड़ चली,
तुम मुझसे जो मुँह मोड़ चली,
मैं अपनी मंजिल भटक गया,
इन दो लम्हों में अटक गया,
मुरझाई खिलके फुलवारी,
हौले - हौले धड़कन हारी.
मन व्याकुल है बेचैनी है,
यादों की छूरी पैनी है,
नैना सागर भर लेते हैं,
हम अश्कों से तर लेते हैं,
हर रोज चले दिल पे आरी,
हौले - हौले धड़कन हारी...
मैं भूल गया दुनिया दारी,
पहले दिल का बलिदान दिया,
हौले - हौले धड़कन हारी.
खुशियाँ घर आँगन छोड़ चली,
तुम मुझसे जो मुँह मोड़ चली,
मैं अपनी मंजिल भटक गया,
इन दो लम्हों में अटक गया,
मुरझाई खिलके फुलवारी,
हौले - हौले धड़कन हारी.
मन व्याकुल है बेचैनी है,
यादों की छूरी पैनी है,
नैना सागर भर लेते हैं,
हम अश्कों से तर लेते हैं,
हर रोज चले दिल पे आरी,
हौले - हौले धड़कन हारी...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!
latest post,नेताजी कहीन है।
वाह बहुत खूब अरुण भाई
ReplyDeleteधड़कन पर अधिकार तुम्हारा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पंक्तियाँ
bahut sundar rachna lagi aapki yah arun
ReplyDeleteatti uttam...
ReplyDeleteजवाब नहीं बहुत खूब रचना...
ReplyDeleteबहुत सुंदर शब्द पिरोये हैं इस धडकन के धागों में
ReplyDeleteसरस और सुन्दर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति,बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteहर रोज चले दिल पे आरी,
ReplyDeleteहौले - हौले धड़कन हारी...yesa hi hota hai....so nice
सुंदर पंक्तियों से सजी लाजबाब रचना ,,,
ReplyDeleteRECENT POST : तस्वीर नही बदली
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति है। यादों की छुरियाँ पैनी हैं। कुछ तेरी हैं कुछ मेरी हैं।
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteअच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर अरुन भाई..
ReplyDeleteआपकी कविताएँ वाकई अच्छी हैं..