Pages

आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

Saturday, June 23, 2012

प्यार क्या - क्या करता है

मैं मीठे-मीठे शब्दों का खुला व्यापार करता हूँ.
यही हरकत है जो मैं, दिन में सौ बार करता हूँ,
खुले दिल का परिंदा हूँ, कई जन्मों से जिन्दा हूँ,
मैं घायल हो चुके दिल पे, यादों की वार करता हूँ,
कभी जीने की हूँ मजा , कभी खौफनाक इक सजा,
मैं जैसे चाहूँ,  जिसको वैसे ही, लाचार करता हूँ,
मैं नीदों को चुरा जाऊं , हो जब-जब बुरा जाऊं,
मुश्किलों से बने लाखों, रखे औज़ार करता हूँ,
दिलों में भरता हूँ दूरी, बड़ी शातिर हूँ मज़बूरी,
सुकून और चैन के सारे, बंद बाज़ार करता हूँ......

7 comments:

  1. अजय कुमार झाJune 23, 2012 at 3:51 PM

    वाह जी वाह , बहुत खूब सरल भी सुंदर भी । शुभकामनाएं आपको

    ReplyDelete
  2. M VERMAJune 23, 2012 at 9:05 PM

    बहुत सुन्दर रचना सरल शब्दों में

    ReplyDelete
  3. संजय भास्करJune 23, 2012 at 9:07 PM

    सुन्दर और स्पष्ट भाव...

    ReplyDelete
  4. अरुन शर्माJune 24, 2012 at 11:27 AM

    बहुत -२ शुक्रिया मेहरबानी

    ReplyDelete
  5. मुकेश पाण्डेय चन्दनJune 24, 2012 at 4:06 PM

    सुन्दर !

    ReplyDelete
  6. मुकेश पाण्डेय चन्दनJune 24, 2012 at 4:06 PM

    सुन्दर !

    ReplyDelete
  7. महेन्द्र मिश्रJune 25, 2012 at 10:37 AM

    बहुत बढ़िया रचना अभिव्यक्ति ...

    ReplyDelete
Add comment
Load more...

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर