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Monday, December 10, 2012

शीत डाले ठंडी बोरियाँ

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 26 के लिए लिखी रचना "हेमंत ऋतु" पर आधारित

देख माथे की शिकन औ त्योरियाँ,
शीत डाले ढेर ठंडी बोरियाँ,

गोद में अपनी लिटाकर सूर्य को,
गुनगुनाती है सुनाती लोरियाँ,

धुंध को फैला रही है राह में,
बांधती है मुश्किलों की डोरियाँ,

बादलों के बाद रखती आसमां,
धूप की ऐसे करे है चोरियाँ,

सुरसुरी बहती पवन झकझोर दे,
काम खुल्लेआम सीनाजोरियाँ.

14 comments:

  1. सदाDecember 10, 2012 at 5:15 PM

    वाह ... बेहतरीन

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 10, 2012 at 5:30 PM

      शुक्रिया सदा दी

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  • संध्या शर्माDecember 10, 2012 at 5:57 PM

    वाह... बहुत सुन्दर.. खास तौर पर गोद में लिटाकर सूर्य को.... बहुत अच्छी लगी... शुभकामनायें

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 12, 2012 at 11:43 AM

      शुक्रिया संध्या दी

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  • संगीता स्वरुप ( गीत )December 11, 2012 at 10:33 AM

    बहुत खूब ...

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 12, 2012 at 11:44 AM

      धन्यवाद आदरणीया संगीता जी

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  • संजय भास्करDecember 11, 2012 at 5:20 PM

    बादलों के बाद रखती आसमां,
    धूप की ऐसे करे है चोरियाँ,
    ,,,,,,,,,,,,,,,,in panktiyo ka jwab nahi bhai bahut khoob

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 12, 2012 at 11:44 AM

      धन्यवाद संजय भाई

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  • प्रसन्न वदन चतुर्वेदीDecember 11, 2012 at 6:37 PM

    वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 12, 2012 at 11:45 AM

      धन्यवाद चतुर्वेदी सर

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  • Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारDecember 13, 2012 at 3:22 AM


    देख माथे की शिकन औ त्योरियाँ,
    शीत डाले ढेर ठंडी बोरियाँ,

    गोद में अपनी लिटाकर सूर्य को,
    गुनगुनाती है सुनाती लोरियाँ,

    वाऽह ! वाऽह ! वाऽऽह !
    क्या बात है !बहुत खूब !

    अरुन शर्मा 'अनंत' जी
    आनंद आ गया । इस रचना के प्रवाह ने तबीयत ख़ुश करदी …


    शुभकामनाओं सहित…

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 13, 2012 at 1:10 PM

      राजेंद्र स्वर्णकार सर सराहना हेतु आभार

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  • अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)December 13, 2012 at 8:03 AM

    शीत पर क्या खूब है रचना लिखी
    पंक्तियाँ लगती हैं नटखट छोरियाँ |

    वाह! सुंदर प्रतीकों का अभिनव प्रयोग हुआ है.बधाई.

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"December 13, 2012 at 1:10 PM

      आदरणीय अरुण सर अपना आशीष यूँ ही बनाये रखें

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