"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 26 के लिए लिखी रचना "हेमंत ऋतु" पर आधारित
देख माथे की शिकन औ त्योरियाँ,
शीत डाले ढेर ठंडी बोरियाँ,
गोद में अपनी लिटाकर सूर्य को,
गुनगुनाती है सुनाती लोरियाँ,
धुंध को फैला रही है राह में,
बांधती है मुश्किलों की डोरियाँ,
बादलों के बाद रखती आसमां,
धूप की ऐसे करे है चोरियाँ,
सुरसुरी बहती पवन झकझोर दे,
काम खुल्लेआम सीनाजोरियाँ.
वाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteशुक्रिया सदा दी
Deleteवाह... बहुत सुन्दर.. खास तौर पर गोद में लिटाकर सूर्य को.... बहुत अच्छी लगी... शुभकामनायें
ReplyDeleteशुक्रिया संध्या दी
Deleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीया संगीता जी
Deleteबादलों के बाद रखती आसमां,
ReplyDeleteधूप की ऐसे करे है चोरियाँ,
,,,,,,,,,,,,,,,,in panktiyo ka jwab nahi bhai bahut khoob
धन्यवाद संजय भाई
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