बदला है वातावरण, निकट शरद का अंत ।
शुक्ल पंचमी माघ की, लाये साथ बसंत ।१।
अनुपम मनमोहक छटा, मनभावन अंदाज ।
ह्रदय प्रेम से लूटने, आये हैं ऋतुराज ।२।
धरती का सुन्दर खिला, दुल्हन जैसा रूप ।
इस मौसम में देह को, शीतल लगती धूप ।३।
डाली डाली पेड़ की, डाल नया परिधान ।
आकर्षित मन को करे, फूलों की मुस्कान ।४।
पीली साड़ी डालकर, सरसों खेले फाग ।
मधुर मधुर आवाज में, कोयल गाये राग ।५।
गेहूँ की बाली मगन, इठलाये अत्यंत ।
पुरवाई भी झूमकर, गाये राग बसंत ।६।
पर्व महाशिवरात्रि का, पावन और विशेष ।
होली करे समाज से , दूर बुराई द्वेष ।७।
अद्भुत दिखता पुष्प से, भौरों का अनुराग ।
और सुगन्धित बौर से, लदा आम का बाग़ ।८।
शुक्ल पंचमी माघ की, लाये साथ बसंत ।१।
अनुपम मनमोहक छटा, मनभावन अंदाज ।
ह्रदय प्रेम से लूटने, आये हैं ऋतुराज ।२।
धरती का सुन्दर खिला, दुल्हन जैसा रूप ।
इस मौसम में देह को, शीतल लगती धूप ।३।
डाली डाली पेड़ की, डाल नया परिधान ।
आकर्षित मन को करे, फूलों की मुस्कान ।४।
पीली साड़ी डालकर, सरसों खेले फाग ।
मधुर मधुर आवाज में, कोयल गाये राग ।५।
गेहूँ की बाली मगन, इठलाये अत्यंत ।
पुरवाई भी झूमकर, गाये राग बसंत ।६।
पर्व महाशिवरात्रि का, पावन और विशेष ।
होली करे समाज से , दूर बुराई द्वेष ।७।
अद्भुत दिखता पुष्प से, भौरों का अनुराग ।
और सुगन्धित बौर से, लदा आम का बाग़ ।८।
बहुत सुंदर....!!
ReplyDeleteअनुपम शब्दों से सजा बसंत आगमन.....
बासंती दोहावली खूब बनी है अरुण ,हार्दिक बधाई
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeletesundar dohe arun ji hardik badhai
ReplyDeleteआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (07.02.2014) को " सर्दी गयी वसंत आया (चर्चा -1515)" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है,धन्यबाद।
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति को आज की जन्म दिवस कवि प्रदीप और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteअरुण जी ,वसंत पर बहुत खुबसूरत दोहे रचना ! बधाई l
ReplyDeleteNew post जापानी शैली तांका में माँ सरस्वती की स्तुति !
सियासत “आप” की !
सुन्दर है ये वसंत !
ReplyDeleteसुन्दर पंक्तियाँ।। सादर धन्यवाद।।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ : कवि प्रदीप - जिनके गीतों ने राष्ट्र को जगाया
गौरैया के नाम
नयापन लाता वसंत
ReplyDeleteबेहद भाये, आपके ये वासंतिक दोहे।
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