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Monday, September 16, 2013

मैं पिता जबसे हुआ चिंतित हुआ

दूरियों का ही समय निश्चित हुआ,
कब भला शक से दिलों का हित हुआ,


भोज छप्पन हैं किसी के वास्ते,
और कोई स्वाद से वंचित हुआ,


क्या भरोसा देश के कानून पर,
है बुरा जो वो भला साबित हुआ,


बेटियों सँग हादसे यूँ देखकर,
मैं पिता जबसे हुआ चिंतित हुआ,


सभ्यता की देख उड़ती धज्जियाँ,
मन ह्रदय मेरा बहुत कुंठित हुआ..

15 comments:

  1. Ranjana VermaSeptember 16, 2013 at 1:54 PM

    बहुत बढ़िया..... बहुत ही चिंतित भाव के साथ अभिव्यक्ति...
    हर पिता को चिंता होना स्वाभाविक है आज के स्थिति को देखते हुए ..

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  2. sunita agarwalSeptember 16, 2013 at 3:20 PM

    behtreen rachna ..samyik sarthak .. beti ka pita hone ka dard .. aj ki pristhiti me swabhawik roop me ubhra hai ....

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  3. Aamir DubaiSeptember 16, 2013 at 7:44 PM

    बड़ी ही दिलचस्प रचना रची है ,मैंने इसे आज कई बार पढ़ा। बहुत पसंद आई।

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  4. धीरेन्द्र सिंह भदौरियाSeptember 16, 2013 at 8:01 PM

    सुंदर सामायिक गजल !!पिता के नाते चिंता करना स्वाभाविक है,,,

    RECENT POST : बिखरे स्वर.

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  5. Rajesh KumariSeptember 16, 2013 at 10:32 PM

    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १७/९/१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है।

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  6. Sushil Kumar JoshiSeptember 17, 2013 at 8:18 AM

    स्वाभाविक चिंता सुंदर !

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  7. प्रवीण पाण्डेयSeptember 17, 2013 at 9:12 AM

    हर पिता का हृदय चिंतित होता है, यह सब देखकर।

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  8. दिगम्बर नासवाSeptember 17, 2013 at 1:08 PM

    बेटियों सँग हादसे यूँ देखकर,
    मैं पिता जबसे हुआ चिंतित हुआ,...

    बहुत ही लाजवाब शेर .. नायाब शेर है ये ओर सब शेरों पे भारी है ...
    पूरी गज़ल कामयाब है अपने मकसद में ...

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  9. Reena MauryaSeptember 17, 2013 at 2:38 PM

    आज की स्थिति को देखकर हर पिता का चिंतित होना स्वभाविक है..सामायिक रचना..

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  10. sanny chauhanSeptember 17, 2013 at 5:08 PM

    बढ़िया रचना

    downloading sites के प्रीमियम अकाउंट के यूजर नाम और पासवर्ड

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  11. Aparna SahSeptember 17, 2013 at 5:33 PM

    yek Pita hi in bhavnayon ko samajh sakta hai....sarthak rachna

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  12. Laxman BishnoiSeptember 17, 2013 at 6:48 PM

    उम्दा प्रस्तुति .
    पापा मेरी भी शादी करवा दो ना

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  13. Virendra Kumar SharmaSeptember 17, 2013 at 8:19 PM

    बेटियों सँग हादसे यूँ देखकर,
    मैं पिता जबसे हुआ चिंतित हुआ,

    बहुत बढ़िया अनंत भाई एक तुकबंदी इधर भी

    नोंच खाई जिसने सारी बोटियाँ

    बाल अपराधी वही साबित हुआ ,

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  14. रश्मि शर्माSeptember 17, 2013 at 10:22 PM

    वाकई..पि‍ता बनने के बाद आज के जमाने को देख अनचाहा भय समा जाता है मन में....मगर ये दौर बदलेगा...बहरहाल अच्‍छी लगी रचना

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  15. संजय भास्‍करSeptember 18, 2013 at 6:36 PM

    बेटियों सँग हादसे यूँ देखकर,
    मैं पिता जबसे हुआ चिंतित हुआ,...

    ...........लाजवाब शेर

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