स्वयं विधाता ने हाथों से, करके धरती का श्रृंगार,
दिया मनुज को एक सलोना, सुन्दर प्यारा सा संसार,
मानवता का पाठ पढ़ाया, सिया राम ने ले अवतार,
लौटे फिर से मोहन बनके, और सिखाया करना प्यार,
स्वतः स्वतः पर मानव बदला, बदली काया और विचार,
भूल गया सच की परिभाषा, भूल गया गीता का सार,
गुंडागर्दी लूट डकैती, धोखा सरकारी व्यापार,
अपने घर की चिंता सबको, भले मिटे दूजा परिवार,
खुद का दाना पानी मुश्किल, करते लोगों का कल्याण,
राम नाम जप करें कमाई, जनता का हर लेते प्राण,
भोग विलास अधर्म बुराई, महँगाई के बरसे बाण,
संसद में नेता जी कहते, जारी है भारत निर्माण....
दिया मनुज को एक सलोना, सुन्दर प्यारा सा संसार,
मानवता का पाठ पढ़ाया, सिया राम ने ले अवतार,
लौटे फिर से मोहन बनके, और सिखाया करना प्यार,
स्वतः स्वतः पर मानव बदला, बदली काया और विचार,
भूल गया सच की परिभाषा, भूल गया गीता का सार,
गुंडागर्दी लूट डकैती, धोखा सरकारी व्यापार,
अपने घर की चिंता सबको, भले मिटे दूजा परिवार,
खुद का दाना पानी मुश्किल, करते लोगों का कल्याण,
राम नाम जप करें कमाई, जनता का हर लेते प्राण,
भोग विलास अधर्म बुराई, महँगाई के बरसे बाण,
संसद में नेता जी कहते, जारी है भारत निर्माण....
सुन्दर अति सुन्दर -
ReplyDeleteशुभकामनायें अरुण -
देश को सुन्दर भविष्य का अधिकार मिले।
ReplyDeleteसुंदर सृजन ! बेहतरीन रचना के लिए बधाई !!
ReplyDeleteRECENT POST : बिखरे स्वर.
aaj ke sach ko prastut karti sarthak rachna
ReplyDeletebadhai!
वास्तिविकता को दर्शाती सुन्दर रचना
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना
ReplyDeletelatest post गुरु वन्दना (रुबाइयाँ)
LATEST POSTअनुभूति : Teachers' Honour Award
बेहद सुन्दरता से सत्य से रूबरू कराती....एक सार्थक रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी का लिंक कल शनिवार (14-09-2013) को "यशोदा मैया है मेरी हिँदी" (चर्चा मंचः अंक-1368)... पर भी होगा!
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर रचना...
ReplyDeleteआप की ये रचना आने वाले शनीवार यानी 14 सितंबर 2013 को ब्लौग प्रसारण पर लिंक की जा रही है...आप भी इस प्रसारण में सादर आमंत्रित है... आप इस प्रसारण में शामिल अन्य रचनाओं पर भी अपनी दृष्टि डालें...इस संदर्भ में आप के सुझावों का स्वागत है...
उजाले उनकी यादों के पर आना... इस ब्लौग पर आप हर रोज 2 रचनाएं पढेंगे... आप भी इस ब्लौग का अनुसरण करना।
आप सब की कविताएं कविता मंच पर आमंत्रित है।
हम आज भूल रहे हैं अपनी संस्कृति सभ्यता व अपना गौरवमयी इतिहास आप ही लिखिये हमारा अतीत के माध्यम से। ध्यान रहे रचना में किसी धर्म पर कटाक्ष नही होना चाहिये।
इस के लिये आप को मात्र[email protected] पर मिल भेजकर निमंत्रण लिंक प्राप्त करना है।
मन का मंथन [मेरे विचारों का दर्पण]
बहुत ही सुन्दर बेहतरीन प्रस्तुती,धन्यबाद।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - रविवार - 15/09/2013 को
ReplyDeleteभारत की पहचान है हिंदी - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः18 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra
सत्य को दर्शाती सुन्दर रचना !
ReplyDeleteभोग विलास अधर्म बुराई, महँगाई के बरसे बाण,
ReplyDeleteसंसद में नेता जी कहते, जारी है भारत निर्माण....
आज की राजनीति पे सटीक टिप्पणी ... मज़ा आया अरुण जी ...
Rajniti pe likhi,aaj ke sandarv me sarthak rachna....
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