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Wednesday, January 9, 2013

कलियुग मेरे भगवान अब तत्काल बदलो

इंसान की फितरत खुदा हर हाल बदलो,
थोड़ी समय की गति जरा सी चाल बदलो,

खोटी नज़र के लोग अब बढ़ने लगे हैं,
आदत निगाहों की गलत इस साल बदलो,

जीना नहीं आसान इस दौरे जहाँ में,
अपमान ये घृणा बुरा हर ख्याल बदलो,

नारी नहीं सुरक्षित दरिंदों की नज़र से,
कमजोरियां ये नारिओं की ढाल बदलो,

लाखों शिकारी भीड़ में हर ओर फैले,
सरकार है बेकार शासनकाल बदलो,

नारद उठाओ प्रभु को किस्सा सुनाओ,
कलियुग मेरे भगवान अब तत्काल बदलो.

33 comments:

  1. रविकरJanuary 9, 2013 at 11:36 AM

    बढ़िया उलाहना |
    बधाई अरुण जी ||

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 9, 2013 at 11:39 AM

      आभार गुरुदेव श्री रविकर सर.

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  • madhu singhJanuary 9, 2013 at 11:42 AM

    bade hi andaj se aap ne apni bat kah diya*** behatreen

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 9, 2013 at 11:45 AM

      आभार आदरणीया बहुत - बहुत शुक्रिया

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  • दिगम्बर नासवाJanuary 9, 2013 at 1:19 PM

    लाखों शिकारी भीड़ में हर ओर फैले,
    सरकार है बेकार शासनकाल बदलो,..

    ये कलाम तो हम सब को मिल के करना है ... पता नहीं कब जागेंगे ...

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 10, 2013 at 12:37 PM

      आभार दिगम्बर सर

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  • Virendra Kumar SharmaJanuary 9, 2013 at 1:20 PM

    नारी नहीं सुरक्षित दरिंदों की नज़र से,
    कमजोरियां ये नारिओं की ढाल बदलो,

    लाखों शिकारी भीड़ में हर ओर फैले,
    सरकार है बेकार शासनकाल बदलो,

    बढ़िया रिज़ोल्व है संकल्प है आपका .

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  • Virendra Kumar SharmaJanuary 9, 2013 at 1:21 PM

    नारी नहीं सुरक्षित दरिंदों की नज़र से,
    कमजोरियां ये नारिओं की ढाल बदलो,

    लाखों शिकारी भीड़ में हर ओर फैले,
    सरकार है बेकार शासनकाल बदलो,

    बढ़िया रिज़ोल्व है संकल्प है आपका .

    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    बुधवार, 9 जनवरी 2013
    शर्म इन्हें फिर भी नहीं आती

    http://veerubhai1947.blogspot.in/

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 10, 2013 at 12:37 PM

      धन्यवाद आदरणीय वीरेंद्र सर

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  • suresh agarwal adhirJanuary 9, 2013 at 1:47 PM

    bahut sundar shabdo se Vinay karti Rachna ...Badhai
    http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/01/blog-post.html

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 10, 2013 at 12:38 PM

      शुक्रिया मित्र

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  • संध्या शर्माJanuary 9, 2013 at 2:13 PM

    बिलकुल सही बात है तत्काल बदलो... बहुत हो चुका अंधेर अब देर ना करो...
    बहुत सुन्दर सटीक प्रस्तुति... शुभकामनायें

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 10, 2013 at 12:38 PM

      धन्यवाद संध्या दी

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  • सदाJanuary 9, 2013 at 3:21 PM

    वाह ... बहुत खूब और बिल्‍कुल सच्‍ची बात

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 10, 2013 at 12:38 PM

      आभार सदा दी

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  • ranjana bhatiaJanuary 9, 2013 at 4:01 PM

    waah sahi samy anusaar rachna ...behtreen

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    Replies
    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 10, 2013 at 12:38 PM

      आभार रंजना जी

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    Reply
  • Rajendra KumarJanuary 9, 2013 at 5:21 PM

    दिन प्रतिदिन अपराध के बढ़ते ग्राफ को देखकर सर्वबिदित है हमारी सरकार तो नाकाम है,मन को उद्धेलित करती सुंदर रचना।

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 10, 2013 at 12:39 PM

      राजेंद्र जी धन्यवाद

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    Reply
  • दिलबाग विर्कJanuary 9, 2013 at 7:29 PM

    आपकी इस पोस्ट की चर्चा 10-01-2013 के चर्चा मंच पर है
    कृपया पधारें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत करवाएं

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    Replies
    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 10, 2013 at 12:39 PM

      धन्यवाद आदरणीय दिलबाग सर

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    Reply
  • Rohitas ghorelaJanuary 9, 2013 at 7:33 PM

    वाह बेहद शानदार गज़ल

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 10, 2013 at 12:39 PM

      शुक्रिया रोहित भाई

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    Reply
  • varun kumarJanuary 10, 2013 at 6:15 AM

    बाह बाह वाह बहुत बहूत बहुत ...अच्छा कमाल का सोच ..काश भगवान मुल्तानी मिट्टी के बिना बनाये तो किसी को घमंड ना हो रेगिस्तानी से बनाये तो चिँता ना हो बलुआही से बनाये तो गम ना हो कालीमिट्टी से बनाये तो किसी से कम ना हो ...आज भगवान को अपनी मेड इन इंसान प्रणाली तो हर हाल मे सुधारनी होगी..

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 10, 2013 at 12:39 PM

      धन्यवाद वरुण भाई

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    Reply
  • संजय भास्करJanuary 10, 2013 at 1:45 PM

    वाह....सटीक बहुत ही प्रभावी.. !!!

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 12, 2013 at 11:49 AM

      आभार संजय भाई

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  • Aamir DubaiJanuary 10, 2013 at 6:03 PM

    कुछ उर्दू और कुछ हिंदी में एक रचना। जो अपने अन्दर एक पैगाम लिए हुए है।

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 12, 2013 at 11:50 AM

      शुक्रिया आमिर भाई

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  • अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)January 10, 2013 at 7:42 PM

    खोटे - सिक्के ढल रहे सारे के सारे
    सोचते क्या हो, अजी ! टकसाल बदलो

    शानदार गज़ल..............

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 12, 2013 at 11:50 AM

      ह्रदय से आभार आदरणीय गुरुदेव

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    Reply
  • धीरेन्द्र सिंह भदौरियाJanuary 10, 2013 at 8:14 PM

    मन को उद्धेलित करती प्रभावी रचना,,,,बधाई

    recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 12, 2013 at 11:50 AM

      हार्दिक आभार आदरणीय धीरेन्द्र सर

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