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आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

Saturday, January 12, 2013

हद है

मान है सम्मान गर दौलत नगद है .. हद है,  
लोभ बिन इंसान कब करता मदद है .. हद है,

हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों,
सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,

स्वाद चखते थे कभी हम स्नेह की बातों का,  
आज जहरीली जुबां कड़वा शबद है .. हद है,

कौन अपना है पराया है हमे क्या मालुम,
प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है,

भूल मुझको जो गई यादों के हर लम्हों से,
जिंदगी उसके की ख्यालों की सुखद है .. हद है.

28 comments:

  1. Rajendra KumarJanuary 12, 2013 at 12:17 PM

    प्रेम का रस जानलेवा इक शहद है,क्या बात है अतिसुन्दर।

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 12, 2013 at 12:25 PM

      हार्दिक आभार मित्रवर

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  • संजय भास्करJanuary 12, 2013 at 12:21 PM

    वाह! क्या बात है!! बहुत ही उम्दा

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 12, 2013 at 12:25 PM

      धन्यवाद भ्राताश्री

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    2. रविकरJanuary 12, 2013 at 12:55 PM

      बढ़िया प्रस्तुति प्रिय अरुण अनंत ||

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  • Reena MauryaJanuary 12, 2013 at 1:34 PM

    बहुत ही बढ़ियाँ गजल है...
    :-)

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 17, 2013 at 3:38 PM

      आभार रीना जी

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  • Virendra Kumar SharmaJanuary 12, 2013 at 4:59 PM

    ज़िन्दगी की झरबेरियों से रिसती चुभन हर शैर में मौजूद है .उम्दा गजल और बिम्ब .रूपकात्मक खूब सूरती लिए है हर शैर ,एक अलग रूपक लिए हैं .


    कौन अपना है पराया हमे(हमें ) क्या मालुम,(मालूम )
    प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है,

    ज़िन्दगी तू मिलकर भी न मिली ये तो हद है .

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  • Virendra Kumar SharmaJanuary 12, 2013 at 5:00 PM


    ज़िन्दगी की झरबेरियों से रिसती चुभन हर शैर में मौजूद है .उम्दा गजल और बिम्ब .रूपकात्मक खूब सूरती लिए है हर शैर ,एक अलग रूपक लिए हैं .


    कौन अपना है पराया हमे(हमें ) क्या मालुम,(मालूम )
    प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है,

    ज़िन्दगी तू मिलकर भी न मिली ये तो हद है .

    प्रेम पगी कुनैन ज़िन्दगी ये तो हद है .

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 17, 2013 at 5:14 PM

      धन्यवाद आदरणीय वीरेंद्र सर

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  • डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)January 12, 2013 at 6:33 PM

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (13-12-2013) को (मोटे अनाज हमेशा अच्छे) चर्चा मंच-1123 पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 17, 2013 at 5:14 PM

      आभार शास्त्री सर

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  • धीरेन्द्र सिंह भदौरियाJanuary 12, 2013 at 8:03 PM

    प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है,हद है,,वाह वाह,,,बहुत उम्दा,,

    recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 17, 2013 at 5:15 PM

      आभार आदरणीय धीरेन्द्र सर

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  • संगीता स्वरुप ( गीत )January 13, 2013 at 11:57 AM

    वाकई भावों की भी हद है .... सुंदर प्रस्तुति

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 17, 2013 at 5:15 PM

      शुक्रिया आदरणीया

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  • सूर्यकान्त गुप्ताJanuary 13, 2013 at 1:43 PM

    "हद" के भीतर बहुत ही सुन्दर रचना ....बहुत ही बढ़िया .....हार्दिक शुभकामनाएं ..

    पड़ोसी गरिया रहा, रुधिर सरिता बन गया सरहद है ....हद है

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 17, 2013 at 5:15 PM

      धन्यवाद सूर्यकांत सर

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  • suresh agarwal adhirJanuary 16, 2013 at 1:11 PM

    bahut sundar Rachna ...wahh
    http://ehsaasmere.blogspot.in/

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 17, 2013 at 5:15 PM

      आभार सुरेश सर

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    Reply
  • सदाJanuary 17, 2013 at 1:02 PM

    वाह ... बहुत खूब

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 17, 2013 at 5:16 PM

      आभार सदा दी

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  • madhu singhJanuary 17, 2013 at 6:26 PM

    वाह! क्या बात है, सुंदर प्रस्तुति..... हद है बहुत खूब

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 19, 2013 at 4:50 PM

      धन्यवाद मधु जी

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  • Virendra Kumar SharmaJanuary 17, 2013 at 10:59 PM



    .शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का . यही है जीवन का यथार्थ .यथार्थ जीवन .देखिये पडोसी का मिजाज़ कहिये ,हद है .हिना रब्बानी जो भी कहें हद है .

    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ
    http://veerubhai1947.blogspot.in/
    बृहस्पतिवार, 17 जनवरी 2013
    शख्शियत :हिना रब्बानी खार( पाकिस्तानी मैना )

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 19, 2013 at 4:50 PM

      आभार आदरणीय वीरेंद्र सर

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    Reply
  • दिगम्बर नासवाJanuary 19, 2013 at 2:00 PM

    हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों,
    सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,...

    भई वाह ... क्या बात है ...

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 19, 2013 at 4:51 PM

      आभार आदरणीय दिगम्बर सर

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