लोभ बिन इंसान कब करता मदद है .. हद है,
सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,
आज जहरीली जुबां कड़वा शबद है .. हद है,
प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है,
जिंदगी उसके की ख्यालों की सुखद है .. हद है.
वाह! क्या बात है, सुंदर प्रस्तुति..... हद है बहुत खूब
ReplyDelete
.शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का . यही है जीवन का यथार्थ .यथार्थ जीवन .देखिये पडोसी का मिजाज़ कहिये ,हद है .हिना रब्बानी जो भी कहें हद है .
ram ram bhai
मुखपृष्ठ
http://veerubhai1947.blogspot.in/
बृहस्पतिवार, 17 जनवरी 2013
शख्शियत :हिना रब्बानी खार( पाकिस्तानी मैना )
हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों,
सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,...
भई वाह ... क्या बात है ...
प्रेम का रस जानलेवा इक शहद है,क्या बात है अतिसुन्दर।
ReplyDeleteहार्दिक आभार मित्रवर
Deleteवाह! क्या बात है!! बहुत ही उम्दा
ReplyDeleteधन्यवाद भ्राताश्री
Deleteबढ़िया प्रस्तुति प्रिय अरुण अनंत ||
Deleteबहुत ही बढ़ियाँ गजल है...
ReplyDelete:-)
आभार रीना जी
Deleteज़िन्दगी की झरबेरियों से रिसती चुभन हर शैर में मौजूद है .उम्दा गजल और बिम्ब .रूपकात्मक खूब सूरती लिए है हर शैर ,एक अलग रूपक लिए हैं .
ReplyDeleteकौन अपना है पराया हमे(हमें ) क्या मालुम,(मालूम )
प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है,
ज़िन्दगी तू मिलकर भी न मिली ये तो हद है .
ReplyDeleteज़िन्दगी की झरबेरियों से रिसती चुभन हर शैर में मौजूद है .उम्दा गजल और बिम्ब .रूपकात्मक खूब सूरती लिए है हर शैर ,एक अलग रूपक लिए हैं .
कौन अपना है पराया हमे(हमें ) क्या मालुम,(मालूम )
प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है,
ज़िन्दगी तू मिलकर भी न मिली ये तो हद है .
प्रेम पगी कुनैन ज़िन्दगी ये तो हद है .
धन्यवाद आदरणीय वीरेंद्र सर
Delete