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Monday, January 7, 2013

संकल्प

संकल्प है अंधेर की नगरी मिटानी है,
संकल्प है अपमान की गर्दन उड़ानी है,

दुश्मन हो बेशक मेरी लेखनी समाज की,
संकल्प है इन्सान की सीमा बतानी है,

अंग्रेज जिस तरह से हिंदी को खा रहे,
संकल्प है अंग्रेजों को हिंदी सिखानी है,

बहरे हुए हैं जो-जो अंधों के राज में,
संकल्प है आवाज की ताकत दिखानी है,

रीति -रिवाज भूले फैशन के दौर में,
संकल्प है आदर की चादर बिछानी है,

भटकी है युवा पीढ़ी दौलत की चाह में,
संकल्प है शिक्षा की सही लौ जलानी है....

20 comments:

  1. रविकरJanuary 7, 2013 at 2:11 PM

    आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवार के चर्चा मंच पर ।।

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 7, 2013 at 5:06 PM

      आदरणीय रविकर आभारी हूँ धन्यवाद

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  • Shalini RastogiJanuary 7, 2013 at 7:04 PM

    वाह...बहुत ही शानदार संकल्प है अरुण..ईश्वर करे आपका संकल्प ज़रूर पूरा हो!

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 9, 2013 at 11:16 AM

      शुक्रिया शालिनी जी

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  • Shalini RastogiJanuary 7, 2013 at 7:04 PM

    bahut acchi rachna ...

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  • धीरेन्द्र सिंह भदौरियाJanuary 7, 2013 at 7:56 PM

    काश,,,आपका ये संकल्प का सपना साकार हो,,,
    बहुत उम्दा ,,,,बधाई अरुन जी,,,,,

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 9, 2013 at 11:16 AM

      धन्यवाद आदरणीय धीरेन्द्र सर

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  • madhu singhJanuary 7, 2013 at 10:30 PM

    sundar bhav,behatareen prastuti,samaj ko nyee disha ki taraf le jane ki chaht se bhari rachna

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 9, 2013 at 11:17 AM

      धन्यवाद मधु जी

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  • madhu singhJanuary 8, 2013 at 5:48 AM

    उत्कृष्ट प्रस्तुति,

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  • चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’January 8, 2013 at 2:25 PM

    बहुत ख़ूब वाह!

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 9, 2013 at 11:17 AM

      हार्दिक आभार आदरणीय ग़ाफिल सर

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  • Virendra Kumar SharmaJanuary 8, 2013 at 5:58 PM


    बहरे हुए हैं जो-जो अंधों के राज में,
    संकल्प है आवाज की ताकत दिखानी है

    बहरा राजा ,गूंगी रानी

    दिल्ली की अब यही कहानी .

    बहुत बढ़िया रचना है अनंत भाई .

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 9, 2013 at 11:18 AM

      धन्यवाद आदरणीय वीरेन्द्र सर

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  • Rajendra KumarJanuary 9, 2013 at 10:29 AM

    हर भारतीयों को सही संकल्प लेने का समय आ चूका है। प्रेरणाप्रद रचना,आभार।

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 9, 2013 at 11:18 AM

      आभार राजेंद्र सर

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  • Rohitas ghorelaJanuary 9, 2013 at 7:38 PM

    वाह एक और बेहतरीन गज़ल ...पढ़कर दिल गार्डन-गार्डन हो गया।

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 19, 2013 at 4:52 PM

      आभार रोहित भाई

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  • Vibha Rani ShrivastavaJanuary 10, 2013 at 2:12 PM

    नारद उठाओ प्रभु को किस्सा सुनाओ,
    कलियुग मेरे भगवान अब तत्काल बदलो.
    आपकी रचना बहुत अच्छी है :))
    (या हम उठा लें हथियार तो दोषी मत मानना
    ??)

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"January 19, 2013 at 4:52 PM

      धन्यवाद विभा जी

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