प्यार से तस्वीर मेरी, पोंछना आंसू बहाके।
शीश खटिये पे टिकाकर, सोंचना आंसू बहाके।।
चैन से जी भी न पाये,चैन से मर भी न पाये।
याद के टुकड़े पुराने, नोंचना आंसू बहाके।।
इस कदर मेरी मुहब्बत, कर गई बर्बाद उसको।
नाम लिख मेरा हँथेली, गोंचना आंसू बहाके।।
जब कभी मेरी कमी खलती, उसे है खामखा तब।
दर्द में दुखती रगों को कोंचना आंसू बहाके।।
जख्म से मजबूर होके, घाव ले जीती रही।
क्या करे तकदीर को है, कोसना आंसू बहाके।।
चाँद से हो खूबसूरत, जब कभी उसको कहूँ मैं।
शर्म से फिर मुस्कुराना, रोकना आंसू बहाके।।
एक बेहतरीन गज़ल की रचना की है भाई साहब आपने ... मेरे भी दो शेर साँझा करना चाहता हूँ...
ReplyDeleteविरह में दर्द जब हद अपनी पार करे
सिसक-सिसक कर बोलना आंसू बहाके.
थोड़े से दर्द में भी आंसू चले आते है,इसी आड़ में
वो तेरा जानलेवा दर्द छुपाना आंसू बहाके.
आप मेरे ब्लॉग पर पधारे,आपका कोटि कोटि आभार !!
बहुत - शुक्रिया मित्र रोहित
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ReplyDeleteइस कदर मेरी मुहब्बत, कर गई बर्बाद उसको।
नाम लिख मेरा हँथेली, गोंचना आंसू बहा
बेहतरीन अंदाज़ की गजल है पिक्चर परफेक्ट .
तहे दिल से आभार वीरेंद्र सर
Deleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteबहुत-2 शुक्रिया आदरणीय रविकर सर
Deleteवाह ... बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteशुक्रिया सदा दी
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