पराया धन
बढ़ाता परेशानी
मन में चिंता
बुरी नज़र
जलाती तिल तिल
प्रेम संसार
क्रोधित मन
समझता कब है
अपनी भूल
ज्ञानी ह्रदय
बड़ा शांत स्वभावी
प्रकृति जैसा
फूल के पीछे
पड़ी हवा दिवानी
भौंरा पागल
शाम - सबेरे
है ठण्ड झकझोरे
शीत ऋतु की
घूमा मंदिर
भगवान को पाया
मन भीतर
माँ की ममता
अथाह पारावार
पार न पाए
बढ़ाता परेशानी
मन में चिंता
बुरी नज़र
जलाती तिल तिल
प्रेम संसार
क्रोधित मन
समझता कब है
अपनी भूल
ज्ञानी ह्रदय
बड़ा शांत स्वभावी
प्रकृति जैसा
फूल के पीछे
पड़ी हवा दिवानी
भौंरा पागल
शाम - सबेरे
है ठण्ड झकझोरे
शीत ऋतु की
घूमा मंदिर
भगवान को पाया
मन भीतर
माँ की ममता
अथाह पारावार
पार न पाए
सब एक से बढ़कर एक हैं हाइकु। बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteशुक्रिया आमिर भाई
Deleteबहुत खूब सुंदर हाइकू,,,,अरुन जी बहुत अच्छा प्रयास,,,बधाई,,
ReplyDeleterecent post: बात न करो,
शुक्रिया धीरेन्द्र सर
Deleteमां की ममता
ReplyDeleteअथाह पारावार
पार न पाये
बहुत ही बढिया हाइकू ... सभी एक से बढ़कर एक
शुक्रिया सदा दी
Deleteसुंदर भाव
ReplyDeleteशुक्रिया रश्मि दी
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