गर दुआ प्यार भरी, साथ सफ़र करती है,
जान लेवा ये तेरी, शोख़ अदा है कातिल,
वार पे वार, कई बार नज़र करती है,
देख के तुम न डरो, तेज हवा का झोंका,
राज की बात हवा, दिल को खबर करती है,
फासले बीच भले, लाख रहे हों हरदम,
फैसला प्यार का, तकदीर मगर करती है,
जख्म से दर्द मिले, पीर मिले चाहत से,
प्यार की मार सदा, घाव जबर करती है,
जब बुढ़ापे का, खुदा दे के सहारा छीने,
रात अंगारों के, बिस्तर पे बसर करती है...
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती। भगवान न करे किसी का बुढ़ापे का सहारा छीन जाय।नवबर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteराजेन्द्र ब्लॉग
वेब मीडिया
भूली -बिसरी यादें
आभार आदरणीया राजेंद्र कुमार जी
Deleteप्रभावी लेखन,
ReplyDeleteजारी रहें,
बधाई !!
शुक्रिया आदरणीया रजनीश जी
Deleteदेख के तुम न डरो, तेज हवा का झोंका,
ReplyDeleteराज की बात हवा, दिल को खबर करती है,
शानदार शेर , के साथ नए साल की मुबारक बाद कबूल करें।
शुक्रिया भाई जान आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteनव वर्ष पर बधाइयाँ !!
संजय भाई नमस्कार आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
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