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शनिवार, 29 दिसंबर 2012

जिंदगी मौत के कदमो पे सफ़र करती है

"ओ बी ओ तरही मुशायरा" अंक ३० में शामिल मेरी पहली ग़ज़ल.

दिल्लगी यार की बेकार हुनर करती है,
मार के चोट वो गम़ख्व़ार फ़िकर करती है,

इन्तहां याद की जब पार करे हद यारों,
रात अंगारों के बिस्तर पे बसर करती है,

आरजू है की तुझे भूल भुला मैं जाऊं,
चाह हर बार तेरी पास मगर करती है,

देखने की तुझे न चाह न कोई हसरत,
माफ़ करना जो ये गुस्ताख नज़र करती है,

मुश्किलें दूर कहीं छोड़ मुझे ना जाएँ,
जिंदगी मौत के कदमो पे सफ़र करती है,

सामने प्यार बहुत और बुराई पीछे,
इक यही बात तेरी दिल पे असर करती है.


गम़ख्व़ार - दिलासा देते हुए

22 टिप्‍पणियां:

  1. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)29 दिसंबर 2012 को 3:41 pm

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (30-12-2012) के चर्चा मंच-1102 (बिटिया देश को जगाकर सो गई) पर भी की गई है!
    सूचनार्थ!

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"29 दिसंबर 2012 को 4:25 pm

      ह्रदय के अन्तःस्थल से आभार सर

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  • बढ़िया गजल कही है .

    मुश्किलें दूर कहीं छोड़ मुझे ना जाएँ,
    जिंदगी मौत के कदमो पे सफ़र करती है,

    सामने प्यार बहुत और बुराई पीछे,
    इक यही बात तेरी दिल पे असर करती है.

    गम़ख्व़ार - दिलासा देते हुए

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"30 दिसंबर 2012 को 11:50 am

      आदरणीय वीरेंद्र सर आपका बढ़िया कहना ही हौसला बढ़ा देता है हार्दिक बधाई

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  • सामने प्यार बहुत और बुराई पीछे,
    इक यही बात तेरी दिल पे असर करती है

    ये शेर बड़ा ही दिलकश है। बहुत सुन्दर अरुण।

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"30 दिसंबर 2012 को 11:51 am

      शुक्रिया भाई जान बहुत बहुत शुक्रिया

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  • संध्या शर्मा29 दिसंबर 2012 को 7:51 pm

    लाजवाब ग़ज़ल... सच है... ज़िन्दगी मौत के क़दमों पे सफ़र करती है...

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"30 दिसंबर 2012 को 11:51 am

      आभार संध्या दीदी

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  • धीरेन्द्र सिंह भदौरिया29 दिसंबर 2012 को 7:58 pm

    बहुत खूब सुंदर गजल ,,,,अरुनजी

    recent post : नववर्ष की बधाई

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"30 दिसंबर 2012 को 11:52 am

      धन्यवाद आदरणीय धीरेन्द्र सर

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  • प्रेम सरोवर30 दिसंबर 2012 को 7:44 am

    आपकी कविता मन के संवेदनशील तारों को झंकृत कर गई। मेरी कामना है कि आप अहर्निश सृजनरत रहें। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। न्यवाद।

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"30 दिसंबर 2012 को 11:53 am

      आदरणीय आप यहाँ आये मेरा मनोबल बढ़ा है, आपका कथन सुखद एवं प्रेरणादाई है हार्दिक आभार.

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  • अरुण ब्लॉग स्पेम चेक रहा करो। कई कमेंट्स उसमे रोजाना चले जाते हैं।

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"30 दिसंबर 2012 को 11:53 am

      भाईजान रोजाना चेक करता हूँ

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  • दिगम्बर नासवा30 दिसंबर 2012 को 2:34 pm

    देखने की तुझे न चाह न कोई हसरत,
    माफ़ करना जो ये गुस्ताख नज़र करती है ..

    वाह क्या बट है ... लाजवाब शेर ... कसूर तो नज़रों का ही होता है ...

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"31 दिसंबर 2012 को 4:16 pm

      तहे दिल से आभार आदरणीय नासवा सर

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  • कई दिनों से मैं ब्लॉग की दुनियां से कटा कटा रहा ... तो मैं आपकी पोस्ट पर नही आ पाया ...
    वीर जी आपकी गजल बड़ी शानदार लगी ...

    सामने प्यार बहुत और बुराई पीछे
    इक यही बात तेरी दिल प' असर करती है।

    कितनी चुभने वाली बात किस शालीनता से कह डाली। ..वाह

    यहाँ पर आपका इंतजार रहेगा : शहरे-हवस

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"31 दिसंबर 2012 को 4:17 pm

      रोहित भाई आपका तहे दिल से शुक्रिया, आपको सापरिवर सहित नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें

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  • मुश्किलें दूर कहीं छोड़ मुझे ना जाएँ,
    जिंदगी मौत के कदमो पे सफ़र करती है,

    ...वाह! बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल..

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    1. अरुन शर्मा "अनंत"31 दिसंबर 2012 को 4:17 pm

      आभार आदरणीय कैलाश सर आपको सापरिवर सहित नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें

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