बहुत उम्दा खूबशूरत गजल,,,,बधाई अरुन जी,,,, recent post : समाधान समस्याओं का,
धन्यवाद आदरणीय धीरेन्द्र सर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..! आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-12-2012) के चर्चा मंच-1102 (महिला पर प्रभुत्व कायम) पर भी की गई है! सूचनार्थ!
अनेक-२ धन्यवाद आदरणीय शास्त्री सर
बेवफा मोहब्बत का यही अफसाना है.. दर्द ही दर्द है..संवेदनशील रचना...
शुक्रिया रीना जी
मर्म को जाहिर करती रचना अति सुन्दर
आभार सैनी साहब
दिलासा दुआ ना दवा काम आये, उठे दर्द जब और उमड़े समंदर. मै इस बात से इत्तिफाक रखता हूँ। बिलकुल सोलह आने सच है।
शुक्रिया आमिर भाई
लगी आग जलके, हुवा खाक मंज़र.., निगाह सुर्ख मेरी जबाँ लब-ओ-रु तर.., लुटा चैन मेरा, गई नींद मेरी.., मोहब्बत दिखाए, रोज-ओ-शब् अख्तर.., गिला जिन्दगी से,रहा हर कदम पे.., गुजरे वक्त मेरा माहो-साल रोकर.., लम्हा-दर लम्हा पहरो-दर-पहर.., रही याद तेरी, अमानत बन कर.., दिलासा दुआ ना दवा काम आई.., उठा दर्द दिल में साहिलों-समंदर.....
वाह नीतू जी वाह आपने तो रचना में चार चाँद लगा दिया शुक्रिया
कुछ ऐसा भी तमाशा कभी खुदा दिखलाये खुद दर्द ही दर्द की दवा बन जाए ... बेहतरीन गज़ल अरुण!
बहुत-२ शुक्रिया शालिनी जी
Ati Sunder......Aur Kya kahoon arun bhai
शुक्रिया संजय भाई
आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर
बहुत उम्दा खूबशूरत गजल,,,,बधाई अरुन जी,,,,
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धन्यवाद आदरणीय धीरेन्द्र सर
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-12-2012) के चर्चा मंच-1102 (महिला पर प्रभुत्व कायम) पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
अनेक-२ धन्यवाद आदरणीय शास्त्री सर
Deleteबेवफा मोहब्बत का यही अफसाना है..
ReplyDeleteदर्द ही दर्द है..संवेदनशील रचना...
शुक्रिया रीना जी
Deleteमर्म को जाहिर करती रचना अति सुन्दर
ReplyDeleteआभार सैनी साहब
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