आह निकलेगी नहीं, तुम लाख चाहो भी सनम, दर्द की आदत मुझे है, मैं जखम सीता नहीं,.. वाह ... क्या बात है ... कमाल का शेर है अरुण जी ...
आभार आदरणीय दिगंबर सर
सबकुछ भूलकर कदम आगे बढ़ते रहें, जीतना ही है,हारना तुमने सीखा नहीं... बेहतरीन रचना... शुभकामनायें
आभार संध्या दीदी
चाहता हूँ भूलके सब, दो कदम आगे चलूँ, और खुद तकदीर से मैं अबतलक जीता नहीं. ...बहुत खूब!
शुक्रिया कविता जी
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 18/12/12 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका इन्तजार है
तहे दिल से शुक्रिया आदरणीया राजेश कुमारी जी
बेहतरीन अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,,बधाई recent post: वजूद,
धन्यवाद धीरेन्द्र सर
प्यार समंदर है...दो बीता नहीं.... लाजवाब शेर अरुण जी.... बहुत खूब. अनु
शुक्रिया अनु जी
आह निकलेगी नहीं, तुम लाख चाहो भी सनम, दर्द की आदत मुझे है, मैं जखम सीता नहीं,.. वाह ... बेहतरीन
अनेक-2 धन्यवाद सदा दी
गज़ल के नुक्तों को चुन-चुन,गलीचा बिन दिया.
आभार आदरणीया
क्या खूब लिखते हो दोस्त . चाहता हूँ भूलके सब, दो कदम आगे चलूँ, और खुद तकदीर से मैं अबतलक जीता नहीं.
आभार आदरणीय वीरेंद्र सर
"मैं जख्म सीता नहीं " वाह अरुण जी क्या कहने आपके
शुक्रिया रोहित भाई
बहुत खूब.... :-)
अच्छी प्रस्तुति .... अरुन जी
आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर
आह निकलेगी नहीं, तुम लाख चाहो भी सनम,
ReplyDeleteदर्द की आदत मुझे है, मैं जखम सीता नहीं,..
वाह ... क्या बात है ... कमाल का शेर है अरुण जी ...
आभार आदरणीय दिगंबर सर
Deleteसबकुछ भूलकर कदम आगे बढ़ते रहें,
ReplyDeleteजीतना ही है,हारना तुमने सीखा नहीं...
बेहतरीन रचना... शुभकामनायें
आभार संध्या दीदी
Deleteचाहता हूँ भूलके सब, दो कदम आगे चलूँ,
ReplyDeleteऔर खुद तकदीर से मैं अबतलक जीता नहीं.
...बहुत खूब!
शुक्रिया कविता जी
Deleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 18/12/12 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका इन्तजार है
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया आदरणीया राजेश कुमारी जी
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