Thursday, November 8, 2012
कश्तियों का कातिल
20 comments:
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रविकरNovember 8, 2012 at 5:25 PM
बहुत अच्छे अरुण ।।
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कातिल क्या तिल तिल मरे, तमतमाय तुल जाय ।
हँस हठात हत्या करे, रहे ऐंठ बल खाय ।
रहे ऐंठ बल खाय, नहीं अफ़सोस तनिक है ।
कहीं अगर पकड़ाय, डाक्टर लिखता सिक है ।
मिले जमानत ठीक, नहीं तो अन्दर हिल मिल ।
खा विरयानी मटन, मौज में पूरा कातिल ।।Replies-
"अनंत" अरुन शर्माNovember 9, 2012 at 11:05 AM
वाह रविकर सर वाह मज़ा आ गया शुक्रिया.
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रविकरNovember 8, 2012 at 6:19 PM
उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
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"अनंत" अरुन शर्माNovember 9, 2012 at 11:06 AM
तहे दिल से शुक्रिया रविकर सर
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Kailash SharmaNovember 8, 2012 at 8:28 PM
दुश्मनी दिल से, कर गया दिल का जाबित,
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रोग दिल का अक्सर, दर्द बो जाता है,
...क्या बात है...बेहतरीन गज़ल..Replies-
"अनंत" अरुन शर्माNovember 9, 2012 at 11:06 AM
सराहना व आशीष हेतु अनेक-2 धन्यवाद कैलाश सर
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Reena MauryaNovember 8, 2012 at 8:40 PM
सुन्दर भावपूर्ण रचना...
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:-)Replies-
"अनंत" अरुन शर्माNovember 9, 2012 at 11:07 AM
बहुत-2 शुक्रिया रीना जी.
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राज चौहानNovember 9, 2012 at 4:00 PM
टूट जाती है डोर, जिसके सांसों की,
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मौत की बाहों में, वही सो जाता है
बहुत ही बढिया।
.......मेरे ब्लॉग पर स्वागत है
http://rajkumarchuhan.blogspot.inReplies-
"अनंत" अरुन शर्माNovember 9, 2012 at 4:17 PM
बहुत-2 शुक्रिया राज जी
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shaliniNovember 9, 2012 at 4:30 PM
दुश्मनी दिल से, कर गया दिल का जाबित,
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रोग दिल का अक्सर, दर्द बो जाता है,
bahut acchhi gazal likhi hai arun ji,,,, badhai!Replies-
"अनंत" अरुन शर्माNovember 9, 2012 at 4:32 PM
शालिनी जी स्नेह व सराहना हेतु अनेक-2 धन्यवाद.
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दुश्मनी दिल से, कर गया दिल का जाबित,
ReplyDeleteरोग दिल का अक्सर, दर्द बो जाता है,
काबिले दाद है यारा तेरी गजल ,
काबिले दाद लिखे हैं सबके सब अशआर तूने .
बहुत बढ़िया गजल है भाई .
आदरणीय वीरेंद्र सर आप स्नेह टिप्पणियों के जरिये मिला, ह्रदय गद -2 हो गया, बहुत-2 शुक्रिया सर.
Deleteछोड़ जाता है साथ, जब कोई तन्हा,
ReplyDeleteलौट के आया कब चला, जो जाता है
टूट जाती है डोर, जिसके सांसों की,
मौत की बाहों में, वही सो जाता है
वाह ... बहुत ही बढिया।
आदरणीया सदा दीदी आपका यूँ स्नेह पाकर ख़ुशी से आँखें भर आई, ह्रदय के अन्तः स्थल से आभार.
Deleteपहला शेर ही इतना लाजवाब है कि क्या कहें...!
ReplyDeleteभ्राताश्री आपकी सराहना मुझे सदैव उर्जा मिलती है।
Deleteखूबसूरत अंदाज़....जज्बातोँ से भरी सजी पंक्तियाँ....अरुन जी
ReplyDeleteबहुत-2 शुक्रिया संजय भाई यूँ ही अपना स्नेह बनाये रखें अनुज पर.
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