मुहब्बत का सूरज, ढला इन दिनों,
उजाला भी घर से, चला इन दिनों,
बिना तेरे जीना, सजा है लगे,
मुझे तेरा जाना, खला इन दिनों,
निगाहों से आंसू, बहे हर घडी,
जला दिल से ये, दिलजला इन दिनों,
तबाही का मंजर, बढ़ा दिन-ब -दिन,
उठा साँसों में, जलजला इन दिनों,
ख़ुशी तेरी यूँ ही, सलामत रहे,
दिया बन मैं तिल-2, जला इन दिनों,
वफ़ा करते-करते, जफा कर गये,
दुआ है तेरा हो, भला इन दिनों,
दर्द - बेचैनी - बेबसी रात दिन,
रहा खुशियों से, फासला इन दिनों।
ReplyDeleteवफ़ा करते-करते, जफा कर गये,
दुआ है तेरा हो, भला इन दिनों,
दिवाली शुभ हो ,मुबारक हो ,सेहत मंद रहें सभी .
खूब सूरत हैं अंदाज़ आपके फिर वो क्यों वफा करते करते जफा कर गए ,वायदे मोहब्बत बिखर क्यों गए ?
आदरणीय वीरेंद्र सर दीपावली की आपको भी ढेरों शुभकामनाएं
Deleteबढ़िया प्रस्तुति |
ReplyDeleteबधाई स्वीकारें ||
अनेक-2 धन्यवाद रविकर सर
Deleteवफा करते करते,जफा कर गए,
ReplyDeleteदुआ है तेरा हो,भला इन दिनों,,,,
दीपावली की हार्दिक बहुत२ शुभकामनाए,,,,
RECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,
धीरेन्द्र सर शुक्रिया दीपावली की आपको भी हार्दिक बहुत२ शुभकामनाए .
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (11-11-2012) के चर्चा मंच-1060 (मुहब्बत का सूरज) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
आदरणीय शास्त्री सर दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें, रचना को स्थान देने हेतु बहुत-2 धन्यवाद.
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