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Friday, November 30, 2012

जखम - छुपाना पड़ेगा

लबों पर हंसी को, बिछाना पड़ेगा,
निगाहों का पानी, सुखाना पड़ेगा,

नमक लेकर पीछे, जमाना पड़ा है,
जखम अपने दिल का, छुपाना पड़ेगा,

भरोसे के बदले, करे शक हमेशा,
मुहब्बत का लहजा, सिखाना पड़ेगा,

उदासी का आलम,हुआ साथ मेरे,
तबाही का बोझा, उठाना पड़ेगा,

वफ़ा करते-करते, लुटा चैन मेरा,
जुदाई में जिन्दा, जलाना पड़ेगा, 

नहीं इतनी अच्छी, सनम दिल्लगी है,
दगा का तुम्हें ऋण, चुकाना पड़ेगा।

24 comments:

  1. रविकरNovember 30, 2012 at 11:41 AM

    पाना अब मुश्किल हुआ, खोना है आसान ।

    बड़े दानदाता जमे, मन में ऊंची ठान ।

    मन में ऊंची ठान, गिराकर पलक उठाऊं ।

    गिरे जमीन पर लोग, गिरा पर गाँठ लगाऊं ।

    मुश्किल जीना होय, कठिन हो जख्म छुपाना ।

    गम-सागर का नमक, छिड़क के खुब तड़पाना ।।

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 30, 2012 at 11:57 AM

      वाह रविकर सर वाह आपके दोहों ने मेरी रचना को जो सम्मान दिया, कृतज हो गया हूँ आपका.

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  • आमिर दुबई 2692November 30, 2012 at 11:54 AM

    भरोसे के बदले, करे शक हमेशा,
    मुहब्बत का लहजा, सिखाना पड़ेगा,

    बेहतरीन नज्म अरुण भाई,
    आप इसी तरह लेखन का सफ़र तय करते रहें।
    मुझे आपकी ब्लॉग ज्वाइन करना अभी याद आया। इसलिए आज ही ज्वाइन किया।अपने एक नए प्रशंशक को कबूल करें।

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 30, 2012 at 11:59 AM

      आमिर भाई आपको रचना पसंद आई बहुत-2 शुक्रिया, भाईजान आपने ब्लॉग ज्वाइन किया आपका शुक्रिया.

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    2. shashi purwarNovember 30, 2012 at 12:20 PM

      bahut khoob anant ji , bahut sundar bhav hai aur sundar sher likhe hai aapne acchi najm , badhai , shubhkamnaye

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    3. "अनंत" अरुन शर्माNovember 30, 2012 at 12:44 PM

      बहुत-2 शुक्रिया शशि जी

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  • सदाNovember 30, 2012 at 12:18 PM

    नमक लेकर पीछे, जमाना पड़ा है ...
    वाह बहुत खूब

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 30, 2012 at 12:45 PM

      अनेक-2 धन्यवाद सदा दीदी

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  • विनोद सैनीNovember 30, 2012 at 12:21 PM

    जखम छुपाना पडेगा वाह बहुत खूब रचना आखिर दिल है करना पडेगा

    युनिक तकनीकी ब्‍लाग

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 30, 2012 at 12:45 PM

      बिलकुल विनोद भाई शुक्रिया

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    Reply
  • Virendra Kumar SharmaNovember 30, 2012 at 12:23 PM


    नमक लेकर पीछे, जमाना पड़ा है,
    जखम अपने दिल का, छुपाना पड़ेगा,
    लबों को यूं ही हंसाना पड़ेगा ,

    जख्मों को नमक से बचाना पड़ेगा .

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 30, 2012 at 12:46 PM

      बहुत-2 धन्यवाद वीरेंद्र सर

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  • Reena MauryaNovember 30, 2012 at 12:50 PM

    गजलो में तो आप उस्ताद है..
    बेहतरीन, बेहतरीन....
    :-)

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 30, 2012 at 12:52 PM

      तहे दिल से आभार रीना जी.

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    Reply
  • Asha SaxenaNovember 30, 2012 at 3:35 PM

    आपकी यह रचना बहुत अच्छी बनी है |
    आशा

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 30, 2012 at 4:23 PM

      तहे दिल से आभार आदरणीया आशा जी

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    Reply
  • shaliniNovember 30, 2012 at 4:36 PM

    bahut khoob arun ji... dil ke zakhmon ko bayan karti umda gazal!

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    1. "अनंत" अरुन शर्माNovember 30, 2012 at 4:45 PM

      ह्रदय के अन्तःस्थल से आभार शालिनी जी

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    Reply
  • Rohitas ghorelaNovember 30, 2012 at 9:47 PM

    क्या कमाल की गज़ल हैं ... भई वाह ... बेहद उम्दा

    बधाई स्वीकारे।

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    1. "अनंत" अरुन शर्माDecember 1, 2012 at 10:51 AM

      शुक्रिया रोहित भाई.

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  • minyanderDecember 1, 2012 at 10:27 PM

    नमक लेकर पीछे, जमाना पड़ा है....
    भई वाह बहुत खूब !!

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    1. "अनंत" अरुन शर्माDecember 2, 2012 at 10:49 AM

      बहुत-2 धन्यवाद

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    Reply
  • संजय भास्करDecember 2, 2012 at 4:24 PM

    कमाल की ग़ज़ल है...
    Simple and yet so beautiful :)

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    1. "अनंत" अरुन शर्माDecember 3, 2012 at 11:47 AM

      शुक्रिया संजय भाई

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