लबों पर हंसी को, बिछाना पड़ेगा,
निगाहों का पानी, सुखाना पड़ेगा,
नमक लेकर पीछे, जमाना पड़ा है,
जखम अपने दिल का, छुपाना पड़ेगा,
भरोसे के बदले, करे शक हमेशा,
मुहब्बत का लहजा, सिखाना पड़ेगा,
उदासी का आलम,हुआ साथ मेरे,
तबाही का बोझा, उठाना पड़ेगा,
वफ़ा करते-करते, लुटा चैन मेरा,
जुदाई में जिन्दा, जलाना पड़ेगा,
नहीं इतनी अच्छी, सनम दिल्लगी है,
दगा का तुम्हें ऋण, चुकाना पड़ेगा।
पाना अब मुश्किल हुआ, खोना है आसान ।
ReplyDeleteबड़े दानदाता जमे, मन में ऊंची ठान ।
मन में ऊंची ठान, गिराकर पलक उठाऊं ।
गिरे जमीन पर लोग, गिरा पर गाँठ लगाऊं ।
मुश्किल जीना होय, कठिन हो जख्म छुपाना ।
गम-सागर का नमक, छिड़क के खुब तड़पाना ।।
वाह रविकर सर वाह आपके दोहों ने मेरी रचना को जो सम्मान दिया, कृतज हो गया हूँ आपका.
Deleteभरोसे के बदले, करे शक हमेशा,
ReplyDeleteमुहब्बत का लहजा, सिखाना पड़ेगा,
बेहतरीन नज्म अरुण भाई,
आप इसी तरह लेखन का सफ़र तय करते रहें।
मुझे आपकी ब्लॉग ज्वाइन करना अभी याद आया। इसलिए आज ही ज्वाइन किया।अपने एक नए प्रशंशक को कबूल करें।
आमिर भाई आपको रचना पसंद आई बहुत-2 शुक्रिया, भाईजान आपने ब्लॉग ज्वाइन किया आपका शुक्रिया.
Deletebahut khoob anant ji , bahut sundar bhav hai aur sundar sher likhe hai aapne acchi najm , badhai , shubhkamnaye
Deleteबहुत-2 शुक्रिया शशि जी
Deleteनमक लेकर पीछे, जमाना पड़ा है ...
ReplyDeleteवाह बहुत खूब
अनेक-2 धन्यवाद सदा दीदी
Deleteजखम छुपाना पडेगा वाह बहुत खूब रचना आखिर दिल है करना पडेगा
ReplyDeleteयुनिक तकनीकी ब्लाग
बिलकुल विनोद भाई शुक्रिया
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