पृष्ठ

आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

बुधवार, 28 नवंबर 2012

इन दिनों - भाग चार

बिखरा है टूटा सारा, सामान इन दिनों,
आया है मेरे घर फिर, तूफ़ान इन दिनों,

लुट कर पहले खुद फिर,सबकुछ लुटा गया, 
चाहा है मेरे दिल ने, नुकसान इन दिनों,

जालिम वो जाजिब, है अपनी ओर खींचता,
लगता है बदला वो, बेईमान इन दिनों,

उरियां है सारा जीवन, बेजान सा लगे,
रूठा है मेरा मुझसे, भगवान इन दिनों,

दूरी की डोर नादिर है, गांठ दरमियाँ,
लगती हैं दिल राहें, सुनसान इन दिनों,

नैना हैं तेरे चाकू, दें घाव जब चले,  
लगता है लेकर छोड़ेंगे, जान इन दिनों,

बाजीचा हूँ, तेरी हांथों का नचा मुझे,
जिन्दा हूँ, मैं हूँ फिरभी,बेजान इन दिनों,


जाजिब-आकर्षक , उरियां-शून्य, नादिर-दुर्लभ,
बाजीचा-खिलौना 

16 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया ||

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
    उत्तर
    1. "अनंत" अरुन शर्मा28 नवंबर 2012 को 4:21 pm

      बहुत-2 शुक्रिया रविकर सर

      हटाएं
    प्रत्‍युत्तर दें
  • धीरेन्द्र सिंह भदौरिया28 नवंबर 2012 को 7:04 pm

    वाह,,,बहुत खूब,,अरुन जी,,,

    resent post : तड़प,,,

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
    उत्तर
    1. "अनंत" अरुन शर्मा30 नवंबर 2012 को 10:45 am

      धन्यवाद धीरेन्द्र सर

      हटाएं
    प्रत्‍युत्तर दें
  • ई. प्रदीप कुमार साहनी29 नवंबर 2012 को 10:53 am

    सुन्दर रचना ।

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
    उत्तर
    1. "अनंत" अरुन शर्मा30 नवंबर 2012 को 10:46 am

      धन्यवाद प्रदीप भाई

      हटाएं
    प्रत्‍युत्तर दें
  • आमिर दुबई29 नवंबर 2012 को 3:45 pm

    आदरणीय शायर महोदय ,
    इतना सुन्दर लिखने के लिए आमिर की तरफ से भी बधाई कबूल कीजिये। नज्म वाकई काफी अच्छी लिखी है। एक बार नही बल्कि कई बार पढ़ा ,तब जाकर दिल भरा। इसी तरह मिसरे से मिसरे बनाते रहिये ,नज्म खुद बा खुद बन जाती है। एक बात का ख़ास ख्याल रखें ,की नज्म की भाषा एक ही रहे।कहीं उर्दू कहीं हिंदी ,में सही मेच नही बैठता। उम्मीद है की आप बुरा नही मानेंगे। आपको मेरी शुभकामनायें। इसी तरह लेखन का सफ़र जारी रखें।

    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स
    इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
    उत्तर
    1. "अनंत" अरुन शर्मा30 नवंबर 2012 को 10:47 am

      शुक्रिया आमिर भाई, आगे से ध्यान रखूँगा

      हटाएं
    प्रत्‍युत्तर दें
  • वाह ... बहुत ही बढिया।

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
    उत्तर
    1. "अनंत" अरुन शर्मा30 नवंबर 2012 को 10:48 am

      शुक्रिया सदा दीदी

      हटाएं
    प्रत्‍युत्तर दें
  • बहुत ही बढ़िया गजल लिखते हैं आप..
    बेहतरीन बेहतरीन....
    :-)

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
    उत्तर
    1. "अनंत" अरुन शर्मा30 नवंबर 2012 को 10:45 am

      शुक्रिया रीना जी

      हटाएं
    प्रत्‍युत्तर दें
  • संजय भास्कर2 दिसंबर 2012 को 4:31 pm

    शब्द शब्द अपने आप में भाव समेटे हुए

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
    उत्तर
    1. "अनंत" अरुन शर्मा3 दिसंबर 2012 को 11:48 am

      अनेक-2 धन्यवाद संजय भाई

      हटाएं
    प्रत्‍युत्तर दें
टिप्पणी जोड़ें
अधिक लोड करें...

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर