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Sunday, October 21, 2012

जलता है आफ़ताब

शीतल है बहुत आब,
जलता है आफ़ताब,

बरसाए जब इताब,
भू का बढ़ जाए ताब,
 
चाहत का बद गिर्दाब,
बिखरेंगे टूट ख्वाब,
 
काँटा है यूँ ख़राब,
नाजुक फंसा गुलाब,
 
मन में अल का जवाब,
ढ़ूढ़ो पाओ ख़िताब.


(शब्दों के अर्थ)

आब = पानी
आफ़ताब = सूर्य
इताब = क्रोध
ताब = ताप
बद = बुरा
गिर्दाब = भंवर
अल = कला 

12 comments:

  1. रविकरOctober 21, 2012 at 11:15 AM

    बढ़िया है अरुण जी ।

    शुभकामनायें ।।

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    1. "अनंत" अरुन शर्माOctober 21, 2012 at 11:17 AM

      आदरणीय रविकर सर तहे दिल से शुक्रिया आपसे एक गुजारिश है, मुझे अच्छा लगेगा अगर आप सिर्फ अरुन ही कहेंगे.

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  • Soniya Bahukhandi GaurOctober 21, 2012 at 3:25 PM

    bahut khoob arun jee

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    1. "अनंत" अरुन शर्माOctober 21, 2012 at 3:47 PM

      शुक्रिया सोनिया जी

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  • shaliniOctober 21, 2012 at 3:41 PM

    शब्दों का समुचित प्रयोग किया है अरुण ...बहुत बढ़िया!

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    1. "अनंत" अरुन शर्माOctober 21, 2012 at 3:47 PM

      धन्यवाद शालिनी जी

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  • Vinay PrajapatiOctober 21, 2012 at 4:21 PM

    क्या बात है!!!

    ---
    अपने ब्लॉग को ई-पुस्तक में बदलिए

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    1. "अनंत" अरुन शर्माOctober 21, 2012 at 5:07 PM

      शुक्रिया विनय भाई

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  • संध्या शर्माOctober 21, 2012 at 8:31 PM

    बहुत सुंदर रचना...

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    1. "अनंत" अरुन शर्माOctober 22, 2012 at 10:45 AM

      बहुत-2 शुक्रिया संध्या जी

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  • Nihar RanjanOctober 22, 2012 at 10:34 AM

    बहुत सुन्दर अरुण भाई.

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    1. "अनंत" अरुन शर्माOctober 22, 2012 at 10:48 AM

      शुक्रिया निहार रंजन भाई

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