धोखा भरपूर भरा है,
इश्क की मांग में,
गम का सिंदूर भरा है,
दर्द में टूटता,
आशिक मजबूर भरा है,
वफ़ा की राह में,
काँटों का चूर भरा है,
लुटी हैं कश्तियाँ,
सागर मगरूर भरा है,
जुबां पे प्यार की,
जख्मी दस्तूर भरा है,
गुलों के बाग़ में,
भौंरा मशहूर भरा है,
उम्र की दौड़ में,
दिक्कत नासूर भरा है......
बहुत ही बढिया लिखा है आपने ... लाजवाब प्रस्तुति।
प्रत्युत्तर देंहटाएंतहे दिल से शुक्रिया सदा जी
हटाएंbahut sundar abhivyakti hai ..........waah
हटाएंबहुत अच्छा प्रयास है |
प्रत्युत्तर देंहटाएंजवाब नहीं मिलता
बहुत-२ शुक्रिया प्रदीप भाई
हटाएंस्तरीय प्रस्तुति |
प्रत्युत्तर देंहटाएंबधाई स्वीकारे ||
आदरणीय रविकर सर आपकी बधाई ह्रदय से स्वीकार्य है इसके लिए आपका हार्दिक आभार, आपकी टिपण्णी से सदैव मुझे प्रेरणा मिलती है.
हटाएंbehtreen likha hai aapne ......
प्रत्युत्तर देंहटाएंरंजना जी बहुत-२ शुक्रिया
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