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शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2012

इश्क की मांग में

दिलों के खेल में,
धोखा भरपूर भरा है,
 

इश्क की मांग में,
गम का सिंदूर भरा है,
 

दर्द में टूटता,
आशिक मजबूर भरा है,
 

वफ़ा की राह में,
काँटों का चूर भरा है,
 

लुटी हैं कश्तियाँ,
सागर मगरूर भरा है,
 

जुबां पे प्यार की,
जख्मी दस्तूर भरा है,
 

गुलों के बाग़ में,
भौंरा मशहूर भरा है,
 

उम्र की दौड़ में,
दिक्कत नासूर भरा है......

26 टिप्‍पणियां:

  1. सदा19 अक्टूबर 2012 को 11:07 am

    बहुत ही बढिया लिखा है आपने ... लाजवाब प्रस्‍तुति।

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा19 अक्टूबर 2012 को 11:11 am

      तहे दिल से शुक्रिया सदा जी

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    2. shashi purwar20 अक्टूबर 2012 को 1:42 pm

      bahut sundar abhivyakti hai ..........waah

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  • ई. प्रदीप कुमार साहनी19 अक्टूबर 2012 को 11:49 am

    बहुत अच्छा प्रयास है |

    जवाब नहीं मिलता

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा19 अक्टूबर 2012 को 11:51 am

      बहुत-२ शुक्रिया प्रदीप भाई

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  • रविकर19 अक्टूबर 2012 को 1:47 pm

    स्तरीय प्रस्तुति |
    बधाई स्वीकारे ||

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा19 अक्टूबर 2012 को 1:51 pm

      आदरणीय रविकर सर आपकी बधाई ह्रदय से स्वीकार्य है इसके लिए आपका हार्दिक आभार, आपकी टिपण्णी से सदैव मुझे प्रेरणा मिलती है.

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  • रंजना [रंजू भाटिया]19 अक्टूबर 2012 को 2:54 pm

    behtreen likha hai aapne ......

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा19 अक्टूबर 2012 को 3:31 pm

      रंजना जी बहुत-२ शुक्रिया

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  • shalini19 अक्टूबर 2012 को 4:48 pm

    बहुत खूब अरुण जी...इशक कि पेचीदगी से रू ब रू कराती रचना
    ये सच है कि इश्क की राह में, ग़मों के अंगारे होंगे
    मगर इस पर चलने वालों के ही, ज़िक्र निराले होंगे..

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा19 अक्टूबर 2012 को 5:21 pm

      शालिनी जी आपका जवाब है क्या बात है, आपका तहे दिल से शुक्रिया आपको रचना पसंद आई
      सुर्ख होंठ प्यासे-प्यासे होके सिल जायेंगे,
      दर्द आपको भी होगा जब वो मिल जायेंगे.

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  • डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)19 अक्टूबर 2012 को 5:18 pm

    बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (20-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ! नमस्ते जी!

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा19 अक्टूबर 2012 को 5:23 pm

      आदरणीय शास्त्री सर आपको प्रणाम और नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं, मेरी रचना को चर्चामंच पर स्थान दिया आपका सदैव आभारी रहूँगा.

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  • रश्मि प्रभा...19 अक्टूबर 2012 को 5:50 pm


    उम्र की दौड़ में,
    दिक्कत नासूर भरा है......waakai

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा20 अक्टूबर 2012 को 10:58 am

      शुक्रिया आदरेया रश्मि प्रभा जी

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  • Kailash Sharma19 अक्टूबर 2012 को 7:34 pm

    इश्क की मांग में,
    गम का सिंदूर भरा है,

    ...बहुत खूब! बहुत सुन्दर संवेदनशील प्रस्तुति...

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा20 अक्टूबर 2012 को 10:57 am

      आदरणीय कैलाश सर आपके तहे दिल से शुक्रिया

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  • Anita20 अक्टूबर 2012 को 12:11 pm

    बहुत सुंदर रचना ! नवरात्रि की आपको भी शुभकामनाएँ !:)
    ~आँखों में इश्क़ के.. सपने कितने सजे हैं..
    फिर भी देखो ना ! आँसू कितने भरे हैं...~

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा20 अक्टूबर 2012 को 12:22 pm

      अनीता जी तहे दिल शुक्रिया

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  • "अनंत" अरुन शर्मा20 अक्टूबर 2012 को 1:51 pm

    शशि जी तहे दिल से शुक्रिया

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  • Reena Maurya20 अक्टूबर 2012 को 7:09 pm

    बहुत बढियां गजल..
    बहुत खूब...
    :-)

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा21 अक्टूबर 2012 को 10:57 am

      शुक्रिया रीना जी

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  • Dheerendra singh Bhadauriya20 अक्टूबर 2012 को 10:33 pm

    बहुत बढ़िया उम्दा प्रस्तुति,,,,

    RECENT POST : ऐ माता तेरे बेटे हम

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा21 अक्टूबर 2012 को 10:57 am

      तहे दिल से शुक्रिया धीरेन्द्र सर

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  • Rajput21 अक्टूबर 2012 को 10:58 am

    बहुत खूबसूरत भावों मे लिखी रचना, आभार

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    1. "अनंत" अरुन शर्मा21 अक्टूबर 2012 को 11:01 am

      धन्यवाद राजपूत जी

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