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Sunday, September 16, 2012

दुश्मन तुझे दिल का कट्टर बना के

दुश्मन तुझे दिल का, कट्टर बना के,
पूजा करूँ तुझको, पत्थर बना के,
 

सोता रहूँ जीवन भर, चैन से मैं,
काटों तले अपना, बिस्तर बना के,
 

चल दी कहाँ ऐसे, जल्दी जुदा हो,
मेरी दशा इतनी, बत्तर बना के,
 

ना तो दुआ से, ना राहत दवा से,
तुमने थमाया गम, गठ्ठर बना के,
 

शिकवा गिला करता हूँ, रोज़ तुझसे,
तेरे खयालों का, उत्तर बना के....

31 comments:

  1. Reena MauryaSeptember 16, 2012 at 1:37 PM

    दुश्मन तुझे दिल का, कट्टर बना के,
    पूजा करूँ तुझको, पत्थर बना के,
    वाह|||
    क्या दुश्मनी निभाई है सर जी...
    बहुत खूब....
    :-)

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    1. "अनंत" अरुन शर्माSeptember 16, 2012 at 2:05 PM

      शुक्रिया रीना जी ये इश्क की दुश्मनी है कुछ अलग तो होनी चाहिए ना

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    2. Reena MauryaSeptember 22, 2012 at 12:25 PM

      जी सही कह रहे है..:-)

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  • संजय भास्करSeptember 16, 2012 at 5:10 PM

    बहुत शानदार गज़ल...शुभकामनाएँ अरुन जी

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    1. "अनंत" अरुन शर्माSeptember 16, 2012 at 5:25 PM

      तहे दिल से शुक्रिया संजय भाई

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  • Minakshi PantSeptember 16, 2012 at 5:34 PM

    भावनाओं को परिभाषित करने में सफल रचना सुन्दर रचना |

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    1. "अनंत" अरुन शर्माSeptember 16, 2012 at 5:53 PM

      बहुत-२, शुक्रिया आपको मेरी रचना पसंद आई.

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    Reply
  • Virendra Kumar SharmaSeptember 16, 2012 at 5:44 PM


    शिकवा गिला करता हूँ, रोज़ तुझसे,
    तेरे खयालों का, उत्तर बना के....

    दिया था दिल तुझे रखने को ,
    तूने लौटा दिया जलाके .

    बढ़िया प्रस्तुति है दोस्त नया अंदाज़ .

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    1. "अनंत" अरुन शर्माSeptember 16, 2012 at 5:54 PM

      वाह वीरेन्द्र जी क्या बात है, धन्यवाद

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  • N QuamarSeptember 16, 2012 at 7:54 PM

    सोता रहूँ जीवन भर, चैन से मैं,
    काटों तले अपना, बिस्तर बना के,

    Bahut Khoob janab.. isi prakar jaari rakhein...

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    1. "अनंत" अरुन शर्माSeptember 17, 2012 at 1:36 PM

      बहुत २ शुक्रिया

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  • रविकर फैजाबादीSeptember 16, 2012 at 8:47 PM

    बहुत सुन्दर |

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    1. "अनंत" अरुन शर्माSeptember 17, 2012 at 1:37 PM

      आदरणीय रविकर सर तहे दिल से शुक्रिया

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    Reply
  • प्रेम सरोवरSeptember 17, 2012 at 8:43 AM

    बहुत ही खूबसूरत कविता |

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    1. "अनंत" अरुन शर्माSeptember 17, 2012 at 1:38 PM

      धन्यवाद सर

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    Reply
  • ktheLeoSeptember 17, 2012 at 1:05 PM

    वाह! अरुण। सुन्दर भाव और उतना ही अच्छा शब्द चयन!

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    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माSeptember 17, 2012 at 1:38 PM

      सर सराहना के लिए आभार, शुक्रिया .....

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    Reply
  • Anju (Anu) ChaudharySeptember 17, 2012 at 2:20 PM

    जब गम गट्ठर बन जाए तो जीवन आसन हो जाता है
    क्यों कि जीवन को उसकी बहुत जल्दी आदत पड़ जाती है

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    Replies
    1. "अनंत" अरुन शर्माSeptember 17, 2012 at 2:29 PM

      सत्य है अनु जी, यहाँ पधारने के लिए तहे दिल से शुक्रिया.

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  • mridula pradhanSeptember 17, 2012 at 5:18 PM

    bahut sunder.....

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    1. "अनंत" अरुन शर्माSeptember 17, 2012 at 5:26 PM

      शुक्रिया बहुत-२ शुक्रिया

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  • shaliniSeptember 17, 2012 at 6:50 PM

    अच्छी गज़ल है अरुण जी .... आखिरी शेर बहुत अच्छा है|

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    1. "अनंत" अरुन शर्माSeptember 19, 2012 at 10:38 AM

      शालिनी जी आपका तहे दिल से शुक्रिया

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    Reply
  • expressionSeptember 18, 2012 at 9:57 AM

    अच्छी गज़ल है अरुण जी....
    थोड़ा बहुत सुधार किया जा सकता है....
    बत्तर को बद्तर कीजिये...
    अन्यथा न ले..छोटा समझकर कह दिया है
    अनु

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    1. "अनंत" अरुन शर्माSeptember 19, 2012 at 10:40 AM

      अनु जी सत्य कहा है आपने, शुक्रिया बस इसी तरह से आज सभी का स्नेह चाहिए ताकि जो गलतियाँ होती हैं उनपर ध्यान दे सकूँ. आपका बेझिझक कभी भी मेरी गलतियाँ बता सकती हैं मैं आपका शुक्रगुजार रहूँगा.

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  • Kailash SharmaSeptember 18, 2012 at 8:31 PM

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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    1. "अनंत" अरुन शर्माSeptember 19, 2012 at 10:41 AM

      शुक्रिया कैलाश सर, आप अपना आशीर्वाद बनाये रखिये

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  • Pankaj Kumar SahSeptember 19, 2012 at 11:32 AM

    मैंने आपका ब्लॉग देखा बहुत खुब ...बहुत ही बारीकी से आपने शब्दों को संजोया है...समय मिले तो मेरे घर भी कभी ....मेरा पता http://pankajkrsah.blogspot.com... सादर

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    1. "अनंत" अरुन शर्माSeptember 19, 2012 at 12:39 PM

      शुक्रिया पंकज जी.....

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  • दिगम्बर नासवाSeptember 19, 2012 at 1:12 PM

    सोता रहूँ जीवन भर, चैन से मैं,
    काटों तले अपना, बिस्तर बना के, ..

    बहुत खूब ... जो काँटों पे चल के जीना सीखता है वो कभी हारता नहीं ...
    अच्छा शेर है बहुत ...

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    1. "अनंत" अरुन शर्माSeptember 19, 2012 at 1:25 PM

      सराहना के लिए तहे दिल से शुक्रिया दिगम्बर सर

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