पृष्ठ

आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

साफ़ आटा लगे जैसे चोकर मिला

हौसला दिल्लगी का, दिल खोकर मिला,
प्यार मेरे गले मुझको, रोकर मिला,
 

फूल खिल ना सके, चाहत के फिर कभी,
प्रेम मुझको सदा, गम में धोकर मिला,
 
जिंदगी का दिया, जलकर बुझ भी गया,
फासला वक़्त का ना, कम होकर मिला,
 
अश्क हैं बह रहे, भीगी बरसात है,
रात का कारवां, मुझको सोकर मिला,
 
बेवफा है, वफ़ा का, पहने नाकाब है,
साफ़ आटा लगे, जैसे चोकर मिला,

चोकर = छानबुर, आटे को छानने के बाद निकलने वाला पदार्थ.

14 टिप्‍पणियां:

  1. Asha Saxena15 सितंबर 2012 को 7:16 am

    आटे की चोकर का बहुत सही उदाहरण है इस कविता में |अच्छा कम्पोजीशन |
    आशा

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
    उत्तर
    1. "अनंत" अरुन शर्मा15 सितंबर 2012 को 10:38 am

      आदरेया तहे दिल से शुक्रिया आपने मेरी रचना को पसंद किया

      हटाएं
    प्रत्‍युत्तर दें
  • सदा15 सितंबर 2012 को 11:07 am

    सभी शेर एक से बढ़कर एक ... बेहतरीन प्रस्‍तुति।

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
    उत्तर
    1. "अनंत" अरुन शर्मा15 सितंबर 2012 को 1:43 pm

      सदा जी आप अपना आशीर्वाद यूँ ही बनाये रखिये

      हटाएं
    प्रत्‍युत्तर दें
  • शारदा अरोरा15 सितंबर 2012 को 12:36 pm

    BEHTAREEN PRASTUTI....

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
    उत्तर
    1. "अनंत" अरुन शर्मा15 सितंबर 2012 को 1:43 pm

      शुक्रिया शारदा जी

      हटाएं
    प्रत्‍युत्तर दें
  • रविकर फैजाबादी15 सितंबर 2012 को 5:46 pm

    बहुत सुंदर ||

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
    उत्तर
    1. "अनंत" अरुन शर्मा15 सितंबर 2012 को 5:57 pm

      आदरणीय रविकर सर बहुत-२ शुक्रिया हिंदी दिवस की शुभकामनाएं

      हटाएं
    प्रत्‍युत्तर दें
  • डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)15 सितंबर 2012 को 5:49 pm

    हिन्दी पखवाड़े की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
    --
    बहुत सुन्दर प्रविष्टी!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (16-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
    उत्तर
    1. "अनंत" अरुन शर्मा15 सितंबर 2012 को 5:59 pm

      आदरणीय शास्त्री सर ये मेरी रचना का सौभाग्य है की उसको चर्चा मंच पर स्थान मिलेगा, आपका तहे दिल से धन्यवाद आपको को भी हिंदी पखवाड़े की हार्दिक शुभकामनाएं

      हटाएं
    प्रत्‍युत्तर दें
  • shashi purwar16 सितंबर 2012 को 6:15 am

    bahut sundar rachna .....

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
    उत्तर
    1. "अनंत" अरुन शर्मा16 सितंबर 2012 को 10:48 am

      बहुत-२ शुक्रिया शशी जी

      हटाएं
    प्रत्‍युत्तर दें
  • दिगम्बर नासवा19 सितंबर 2012 को 1:13 pm

    फूल खिल ना सके, चाहत के फिर कभी,
    प्रेम मुझको सदा, गम में धोकर मिला, ..

    बहुत खूब ... उम्दा लिखा है ...

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
    उत्तर
    1. "अनंत" अरुन शर्मा19 सितंबर 2012 को 1:25 pm

      दिगम्बर सर यूँ ही अपना स्नेह बनाये रखिये, शुक्रिया

      हटाएं
    प्रत्‍युत्तर दें
टिप्पणी जोड़ें
अधिक लोड करें...

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर