खंज़र वो सितमगर, लफ़्ज़ों से उतारे,
ठहरीं हैं कश्तियाँ, यादों के किनारे,
ठहरीं हैं कश्तियाँ, यादों के किनारे,
उलझन है बेबसी, छाई है उदासी,
मैं तन्हा रह गया, अश्कों के सहारे,
मैं तन्हा रह गया, अश्कों के सहारे,
मंजिल है दूर, मुस्किल है राह दोस्तों,
अब नज़रों को, नहीं जंचते है नज़ारे,
अब नज़रों को, नहीं जंचते है नज़ारे,
चुभते हैं फूल, काटों से रोज़ मुझको,
फूलों को कौन है, आखिर जो सुधारे,
फूलों को कौन है, आखिर जो सुधारे,
ताज़ी -ताज़ी रही, हर पल याद मुझमे,
बुझती हर सांस आजा, तुझको पुकारे.......
बुझती हर सांस आजा, तुझको पुकारे.......
सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteकुँवर जी,
शुक्रिया कुँवर जी
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही बढिया ।
ReplyDeleteतहे दिल शुक्रिया सदा जी.
Deleteबहुत बढ़िया ......
ReplyDeleteक्या हे यह गूगल-प्लस हैंगआउट.....
शुक्रिया मित्र
Deleteउलझन है बेबसी, छाई है उदासी,
ReplyDeleteमैं तन्हा रह गया, अश्कों के सहारे,
सब शेर अच्छे हैं मुबारक हो .......
बहुत-२ शुक्रिया सुनील सर.
Deleteखूबशूरत भाव पूर्ण नज्म के लिए,,,,बधाई अरुन जी,,,
ReplyDeleteRECENT POST,परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,
तहे दिल से अभिवादन आदरणीय धीरेन्द्र जी
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