जख्मों की मुझको, है दौलत नवाजी,
यादों में जिन्दा, है हर बात ताजी,
नम-2 सी है, भीगी-2 निगाहें,
हारी है मैंने, जीती आज बाजी,
अक्सर सीने में, होती हैं हलचलें,
मरने को साँसे, हैं तैयार राजी,
कहते हैं नैना, सब मेरी कहानी,
पढ़ धीरे-२ , क्या है जल्दबाजी,
कहते हैं सब, तुम झूठी बेवफा हो,
लेकिन तुम ये, कह दो है झूठ नाजी....
यादों में जिन्दा, है हर बात ताजी,
नम-2 सी है, भीगी-2 निगाहें,
हारी है मैंने, जीती आज बाजी,
अक्सर सीने में, होती हैं हलचलें,
मरने को साँसे, हैं तैयार राजी,
कहते हैं नैना, सब मेरी कहानी,
पढ़ धीरे-२ , क्या है जल्दबाजी,
कहते हैं सब, तुम झूठी बेवफा हो,
लेकिन तुम ये, कह दो है झूठ नाजी....
बहुत खूब
ReplyDeleteसराहना के लिए बहुत-२ शुक्रिया मित्र
Deleteकहते हैं नैना, सब मेरी कहानी,
ReplyDeleteपढ़ धीरे-२ , क्या है जल्दबाजी,....
नैनों की भाषा है ... शीरे शीरे पढेंगे तो समझ आयगी ... सही कहा है ... खूबसूरत शेर ...
दिगम्बर सर यूँ ही अपना आशीर्वाद बनाये रखिये, धन्यवाद
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