जो प्यारा था जीवन, अब वही कफ़न है,
जख्मों से टूटा - टूटा, हुआ बदन है,
गुमसुम है धड़कन, चुपचाप हैं होंठ भी,
दिल का मेरे अब तो, हो चुका निधन है,
मैं, वो कैसे जाऊं, भूल तेरी अदा,
यादों से तेरी, होने लगी चुभन है,
तन्हा था तन्हा, ही रह गया दिल सदा,
बाहर बेचैनी, भीतर दर्द है घुटन है,
बिखरा है ख्वाबों का, फूल गिर टूटकर,
लगता है अब मेरा, मौत से मिलन है........
उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteबहुत-२ शुक्रिया रविकर सर
Deleteबहुत मार्मिक दर्द भरी रचना दिल को छू गई
ReplyDeleteआदरणीया सराहना के लिए बहुत-२ शुक्रिया
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