जान का सारा ज़माना आज है दुश्मन बना,
प्यार तेरा वाकई दिन रात का उलझन बना,
डूब कर आराम कर है नींद आँखों में भरी,
टूट ख्वाबों से बड़ा ही दूर का बंधन बना,
चुन लिया मैंने तुझे, अब धडकनों का खुदा,
पूजने को दिलनशीं इक बार तुझको मन बना,
बात इतनी सी नहीं जो बोल दूँ इक सांस में,
साथ तेरा दो पलों का अब मिरा जीवन बना,
घोलकर अपनी निगाहों से पिला गम घूंट भर,
सूखते मेरे लबों को भीगता सावन बना...............
बहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteवैसे तो सभी पंक्तिया बेहतरीन है..
घोलकर अपनी निगाहों से पिला गम घूंट भर,
सूखते मेरे लबों को भीगता सावन बना....
पर ये तो लाजवाब है..
:-)
बहुत सुंदर,,,,वाह क्या बात है,,,,अरुण शर्मा जी,,,
ReplyDeleteRECENT POST ...: जिला अनूपपुर अपना,,,
RECENT POST ...: प्यार का सपना,,,,
आपकी पोस्ट कल 23/8/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा - 980 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क
बात इतनी सी नहीं जो बोल दूँ इक सांस में,
ReplyDeleteसाथ तेरा दो पलों का अब मिरा जीवन बना, ,...
उनका साथ जब जीवन बन जाए तो इतनी आसानी से कहाँ बोला जा सकता है ... लाजवाब ...