साँसों पे छाई खबर तुम हो,
मेरी आँखों की नज़र तुम हो,
हंसा हूँ पाकर साथ तुम्हारा,
खुशियों में होता असर तुम हो,
मर जाऊँगा मैं भूल ना जाना,
जिन्दा हूँ मुझमे अगर तुम हो,
पाके इतना मदहोश हूँ तुमको,
मेरे सपनों का नगर तुम हो,
लाऊँगा तारे फलक से मैं,
तुम्ही जां मेरी जिगर तुम हो........
मेरी आँखों की नज़र तुम हो,
हंसा हूँ पाकर साथ तुम्हारा,
खुशियों में होता असर तुम हो,
मर जाऊँगा मैं भूल ना जाना,
जिन्दा हूँ मुझमे अगर तुम हो,
पाके इतना मदहोश हूँ तुमको,
मेरे सपनों का नगर तुम हो,
लाऊँगा तारे फलक से मैं,
तुम्ही जां मेरी जिगर तुम हो........
बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteआदरणीय कैलाश सर आपकी सराहना से मुझे प्रेरणा मिलती है .
Deleteवाह ,,, बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,अरुण जी,,,
ReplyDeleteRECENT POST काव्यान्जलि ...: रक्षा का बंधन,,,,
धीरेन्द्र सर आपका ये वाह मन को प्रसन्न कर देता है
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