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आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

Friday, August 3, 2012

जिन्दा हूँ मुझमे अगर तुम हो

साँसों पे छाई खबर तुम हो,
मेरी आँखों की नज़र तुम हो,

हंसा हूँ पाकर साथ तुम्हारा,
खुशियों में होता असर तुम हो,

मर जाऊँगा मैं भूल ना जाना,
जिन्दा हूँ मुझमे अगर तुम हो,

पाके इतना मदहोश हूँ तुमको,
मेरे सपनों का नगर तुम हो,

लाऊँगा तारे फलक से मैं,
तुम्ही जां मेरी जिगर तुम हो........

4 comments:

  1. Kailash SharmaAugust 3, 2012 at 3:49 PM

    बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

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    1. अरुन शर्माAugust 9, 2012 at 10:51 AM

      आदरणीय कैलाश सर आपकी सराहना से मुझे प्रेरणा मिलती है .

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  • dheerendraAugust 3, 2012 at 9:27 PM

    वाह ,,, बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,अरुण जी,,,

    RECENT POST काव्यान्जलि ...: रक्षा का बंधन,,,,

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    1. अरुन शर्माAugust 9, 2012 at 10:52 AM

      धीरेन्द्र सर आपका ये वाह मन को प्रसन्न कर देता है

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    Reply
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