धोखा नैनो को तेरे स्वीकार हो,
                                          तुझको भी तेरे जैसे से प्यार हो,
                                           
                                          तू भी तडपे छुप-२ के रोये कभी,
                                          तेरे गालों पर अश्कों की धार हो,
                                           
                                          गायब तो तेरी रातों की नींद औ,
                                          गम-ए-कुल्हाड़ी से ख्वाबों पे वार हो,
                                           
                                          बिगड़ी हालत चिंता हो मजबूरियां,
                                          हर लम्हा अब तेरा दिल बीमार हो,
                                           
                                          गीला-गीला दिल का कोना हर घडी,
                                          भीगी - भीगी यादों की दिवार हो.......... 
                                        
                                        
                                       
                                      
                                    
वाह भई अरूण जी
ReplyDeleteमित्र काजल कुमार जी हौंसल आफजाई के लिए शुक्रिया
Deleteचोट खाए दिल की तड़प
ReplyDeleteभावप्रद रचना...
रीना जी आपको रचना पसंद आई आपने सराहा , तहे दिल से शुक्रिया
Deleteहृदयस्पर्शी
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विनय जी आपके हृदय को स्पर्श किया एक लेखक को और क्या चाहिए, शुक्रिया आपके ब्लॉग पर भ्रमर करके आनंद मिला मित्र.
Deleteबहुत खूब,,,,अरुण जी,,
ReplyDeleteबेहतरीन रचना पसंद आई ,,,,बधाई,,,
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आदरणीय धीरन्द्र सर रचना आपको पसंद आई और आपने सराहा बहुत-२ शुर्क्रिया
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