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Thursday, July 12, 2012

तेरा नाम भूल जाऊं

बस दो घूंट पियूँ , और सारा जाम भूल जाऊं
कि तुझे याद करूँ, और तेरा नाम भूल जाऊं,
जीवन के सफ़र में कहीं, तू मिले जो दुबारा,
तेरा हाल पूंछू , और क्या था काम भूल जाऊं,
मिलने को तुझसे, जब भी सजाऊं कोई रात,
मारे ख़ुशी के मैं तो वही, शाम भूल जाऊं, 
वैसे तो दिल की याद है, हर बात मुंहजबानी,
पर लिखते वक़्त क्या था, पैगाम भूल जाऊं,
आज चाहता हूँ कह दूँ, पर जान का है खतरा,
मैं क्या करूँ की बाद का, अंजाम भूल जाऊं.......

2 comments:

  1. dheerendraJuly 12, 2012 at 9:18 PM

    वाह ,,,,बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,

    RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...

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  2. अरुन शर्माJuly 13, 2012 at 11:42 AM

    आदरणीय बहुत-बहुत शुक्रिया

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