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आइये आपका हृदयतल से हार्दिक स्वागत है

Monday, July 2, 2012

मैं बदल जाता हूँ

मैं, तेरे छूने से बदल जाता हूँ,
कतरा-२ तुझमे पिघल जाता हूँ,
बनकर एहसास मुझमे पलती है,
मैं तेरे दुवाओं से संभल जाता हूँ,
राहें आसान होती हैं पथरीली भी,
मैं जब भी तेरे पीछे निकल जाता हूँ,
थाम लेती हैं हाँथ आगे बढ़कर,
मैं जब मजबूरियों में फिसल जाता हूँ....

4 comments:

  1. Shah NawazJuly 2, 2012 at 3:13 PM

    Achchhi gazal...

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  2. रविकर फैजाबादीJuly 2, 2012 at 3:58 PM

    नहीं एहसान करते वो, अपना काम करते हैं -
    तुझको दिखा बाजार में, अपना नाम करते हैं ||

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  3. अरुन शर्माJuly 2, 2012 at 4:01 PM

    शुक्रिया भाई जान

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  4. अरुन शर्माJuly 2, 2012 at 4:34 PM

    वाह SIR क्या बात है

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