तेरा साया, मेरे साए को ताकता है,
पीछे - पीछे मेरे अक्सर भागता है,
कभी छोड़ देता है तन्हा मुझे अकेले,
कभी दौड़ कर तेज रास्ता रोकता है,
पहले बरसाके कहर यादों का मुझपे,
फिर पलट, मुझे हंसकर देखता है.....
पीछे - पीछे मेरे अक्सर भागता है,
कभी छोड़ देता है तन्हा मुझे अकेले,
कभी दौड़ कर तेज रास्ता रोकता है,
पहले बरसाके कहर यादों का मुझपे,
फिर पलट, मुझे हंसकर देखता है.....
No comments:
Post a Comment
आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर