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Sunday, July 29, 2012

आज भी अनजान है

छीन बैठा इश्क जिसका सांस दिल से जान है,
मौत से मेरी वही बस आज भी अनजान है।

जिंदगी भर भागता था मौत के अंजाम से,
पर रहा क़दमों तले हर रोज़ ही शमशान है।

मान हो सम्मान, आदर भाव की हो भावना,
"यह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है"

छोड़ बेशक से गयी माँ तू मुझे संसार में,
आज भी माँ याद तेरा रूप ही भगवान है।

ताकती मेरी निगाहें राह जिस इंसान की,
लौट कर आया नहीं वो आ गया तूफ़ान है।

12 comments:

  1. शिवनाथ कुमारJuly 29, 2012 at 2:17 PM

    मर्म को छूती हुई ...

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  2. अरुन शर्माJuly 29, 2012 at 3:55 PM

    शुक्रिया शिवनाथ जी .......

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  3. dheerendraJuly 29, 2012 at 7:42 PM

    दिल को छूती बेहतरीन प्रस्तुति....

    RECENT POST,,,इन्तजार,,,

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  4. अरुन शर्माJuly 30, 2012 at 1:26 PM

    आदरणीय धीरेन्द्र जी धन्यवाद

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  5. Reena MauryaJuly 30, 2012 at 6:25 PM

    मर्म भाव लिए रचना...

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    1. अरुन शर्माAugust 1, 2012 at 11:14 AM

      शुक्रिया रीना जी

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  • दिगम्बर नासवाAugust 4, 2012 at 3:28 PM

    छोड़ बेशक से गयी माँ तू मुझे संसार में,
    आज भी माँ याद तेरा रूप ही भगवान है ..

    अंदर तक छूता है ये शेर ... लाजवाब रचना है पूरी ...

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    1. अरुन शर्माAugust 9, 2012 at 10:54 AM

      शुक्रिया दिगम्बर जी

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  • शारदा अरोराSeptember 11, 2012 at 8:15 PM

    Arun ji aap bahut achchha likhte hain...

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    1. अरुन शर्माSeptember 12, 2012 at 11:28 AM

      आदरणीया आपने सराहा है बहुत बड़ी बात है मेरे लिए शुक्रिया

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    Reply
  • संजय भास्करSeptember 20, 2012 at 3:42 PM

    ... लाजवाब रचना अरुन जी

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    1. "अनंत" अरुन शर्माSeptember 20, 2012 at 3:43 PM

      बहुत-२ शुक्रिया संजय भाई तहे दिल से धन्यवाद

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