सोमवार, 30 जुलाई 2012
खाल ओढ़े मानवों का आ गया शैतान है
28 टिप्पणियां:
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दिगम्बर नासवा4 अगस्त 2012 को 3:26 pm
पूंछता बेटा नहीं अब हाल अपने बाप का।
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यह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है ..
सच कहा है ... आज की तो पहचान यही है .. आज को लिखा है ...प्रत्युत्तर दें
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Kailash Sharma7 अगस्त 2012 को 2:54 pm
पूंछता बेटा नहीं अब हाल अपने बाप का।
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यह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है।।
...बहुत खूब! एक कटु सत्य...उत्तर-
अरुन शर्मा9 अगस्त 2012 को 10:53 am
आदरणीय कैलाश सर आपकी टिप्पणियों से मुझे बल मिलता है , शुक्रिया
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Dr (Miss) Sharad Singh22 अगस्त 2012 को 3:06 pm
पूछता बेटा नहीं अब हाल अपने बाप का
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यह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है ....
अच्छा कटाक्ष....प्रत्युत्तर दें
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संध्या शर्मा3 सितंबर 2012 को 5:11 pm
वर्तमान परिस्थितियों का सटीक चित्रण... सार्थक प्रस्तुति
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अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)10 सितंबर 2012 को 9:16 pm
बेहतरीन गज़ल के लिए बधाई.
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shalini21 सितंबर 2012 को 10:45 pm
आज के इंसान और माहौल का सही चित्रण किया है अरुण...बहुत खूब!
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पूछता बेटा नहीं अब हाल अपने बाप का
प्रत्युत्तर देंहटाएंयह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है ....
बहुत खूब....!!
बहुत-२ शुक्रिया इस स्नेह और आशीर्वाद के लिए............
प्रत्युत्तर देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार को ३१/७/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी आपका स्वागत है
प्रत्युत्तर देंहटाएंबहुत-२ शुक्रिया आदरणीया
हटाएंबहुत खूब
प्रत्युत्तर देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंयह तोसही है की कुछ लोग दिखाते मानव है.
प्रत्युत्तर देंहटाएंपर प्रवृत्ति उनकी शैतानी है..
यथार्थ बयां करती रचना...
:-)
धन्यवाद रीना जी
हटाएंपूछता बेटा नहीं अब हाल अपने बाप का
प्रत्युत्तर देंहटाएंयह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है ....
बहुत बेहतरीन,,,,,,,,,,
RECENT POST,,,इन्तजार,,,
शुक्रिया सर
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