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Friday, July 27, 2012

201 पोस्ट कुछ और शे'र

प्यार से मुझको, अनमोल नगीना दे दो,
जिंदगी को बस , इक और महीना दे दो,

हम जितना उनको देख मुस्कुराते चले गए,
वो उतना ही दिल कसम से दुखाते चले गए,

हुस्न की फिर से, कुछ अदाएं ढूंढ़ लाया हूँ,
आज अपनी खातिर, सजाएं ढूंढ़ लाया हूँ.....

दे धोखा फिरसे, तू फिर दिल्लगी कर ले,
अपनी वश में, तू मेरी हर ख़ुशी कर ले.....

मुझको नशा हुआ जैसे शराब का,
जो गम पढ़ लिया तेरी किताब का......

10 comments:

  1. रविकर फैजाबादीJuly 27, 2012 at 5:19 PM

    उत्कृष्ट प्रस्तुति |
    बधाई स्वीकारें ||

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  2. Sunil KumarJuly 27, 2012 at 7:12 PM

    बहुत खुबसूरत ग़ज़ल हर शेर लाजबाब , मुबारक हो

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  3. dheerendraJuly 27, 2012 at 10:10 PM

    बहुत सुंदर लाजबाब शेर,,,,,अरुण जी,,,बधाई

    RECENT POST,,,इन्तजार,,,

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  4. अरुन शर्माJuly 28, 2012 at 10:53 AM

    आदरणीय रविकर जी, सुशील जी एवं धीरेन्द्र जी सराहना के लिए हार्दिक अभिनन्दन.

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  5. डॉ॰ मोनिका शर्माJuly 28, 2012 at 11:11 AM

    Bahut Badhiya...Hardik Badhai

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  6. अरुन शर्माJuly 28, 2012 at 12:00 PM

    मोनिका जी सराहना के लिए आभार .....

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  7. शालिनी कौशिकJuly 28, 2012 at 10:13 PM

    बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति अरुण जी बधाई

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  8. अरुन शर्माJuly 29, 2012 at 11:46 AM

    शालिनी जी स्नेह के लिए बहुत-२ आभार........

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  9. Reena MauryaJuly 30, 2012 at 6:27 PM

    बहुत-बहुत बढ़िया गजल है...
    :-)बेहतरीन

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  10. अरुन शर्माAugust 1, 2012 at 11:15 AM

    धन्यवाद रीना जी

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